राजद और कांग्रेस में सीट बंटवारे की सहमति लगभग बन चुकी है। वाम दलों से दोस्ती के लिए भी राजद पूरी तरह तैयार है। अड़चन सिर्फ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) को लेकर आ रही है। दोनों की बड़ी-बड़ी अपेक्षाओं से राजद-कांग्रेस असहज हैं। अलगाव का हाल यह है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद दोनों से मिलना-जुलना भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी महागठबंधन में कांग्रेस को छोड़कर अन्य घटक दलों के नेताओं से दूरी बना रखी है। जाहिर है, सीट बंटवारे का रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है। चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं। साथी दलों के लिए आज भी सबकुछ वहीं पर स्थिर है, जहां से शुरू हुआ था। पार्टी प्रमुखों की बेचैनी बढऩा लाजिमी है।
कुशवाहा व सहनी से साफ दिख रही राजद की दूरी
लोक सभा चुनाव के पहले प्रत्येक 15-20 दिनों पर रांची जा-जाकर लालू प्रसाद से मिलने वाले रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी की राजद से दूरी अब साफ दिख रही है। कुशवाहा ने पिछली बार एक साल पहले सात सितंबर को रांची जाकर लालू से मुलाकात की थी। उसके बाद दोनों की दोबारा मुलाकात नहीं हुई। मुकेश सहनी का भी लालू से मिले करीब साल भर बीतने जा रहा है।