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बुनियादी सुविधाओं का अभाव, जर्जर भवन में दिन में भी छाया रहता है अंधेरा

भागलपुर। शहर का तिलकामांझी सरकारी बस अड्डा अब यात्रियों के लिए डर का दूसरा नाम बन गया है। यह बस अड्डा दिन में भी किसी भुतहा अड्डे जैसा नजर आता है, जहां शाम ढलते ही नशेड़ियों का खेल शुरू हो जाता है। यात्रियों के लिए यहां न तो बैठने की व्यवस्था है, न बिजली-पानी और न ही शौचालय की सुविधा। जर्जर भवन में दिन में भी अंधेरा रहता है, जिससे यात्री भीतर जाने से कतराते हैं।

इस बस अड्डे से नवगछिया, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया, बेगूसराय और देवघर जैसी जगहों के लिए बसें खुलती हैं, लेकिन यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव झेलना पड़ता है। पानी तक खरीदकर पीना पड़ता है।

नशेड़ियों का अड्डा, यात्री डरे-सहमे

शाम होते ही बस अड्डा नशेड़ियों का ठिकाना बन जाता है। यहां गांजा, स्मैक और शराब का खुलेआम सेवन होता है। 20 साल से यहां दुकान चला रहे दुकानदार पंकज कुमार चौधरी ने बताया कि बस अड्डे पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। न बैठने के लिए कुर्सियां हैं, न बिजली और न ही छांव के लिए शेड।

उन्होंने बताया कि भवन इतना जर्जर हो चुका है कि दिन में भी अंधेरा रहता है, जिससे यात्रियों को डर लगता है। सुरक्षा के नाम पर सिर्फ एक होमगार्ड तैनात है, जो केवल रात में मौजूद रहता है।

अधिकारियों की उदासीनता

बस अड्डे की बदहाल स्थिति को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से सवाल पूछे गए, लेकिन उन्होंने चुप्पी साध ली। यात्रियों और दुकानदारों का कहना है कि यदि जल्द ही इस बस अड्डे का पुनर्निर्माण नहीं हुआ तो यह पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो जाएगा।

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