पहले चरण के चुनाव में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां 50% लोगों ने भी वोट नहीं डाला। यहां महज 48% वोटिंग हुई। लोग घरों से निकलना ही नहीं चाह रहे हैं। बाहर से देखें तो एक वजह बेमेल गठबंधन है। कहीं पार्टी ठीक है तो नेता नहीं, नेता हैं तो पार्टी नहीं। वहीं स्थानीय स्तर पर देखें तो सबसे बड़ी वजह दिखती है, स्थानीय मुद्दों को इग्नोर करना।
NDA के नेता, प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व और 400 पार के नारे से रिझाने की कोशिश में हैं वहीं INDIA के नेता उनके विरोध में भाषण देकर। लोकसभा क्षेत्र की समस्या पर कोई बात नहीं हो रही। क्यों निकलें लोग, गर्मी में वोट देने। और निकलें भी तो क्यों नहीं NOTA दबाकर आ जाएं?
भागलपुर लोकसभा क्षेत्र की ही बात करें तो यहां के हर विधानसभा क्षेत्र की अपनी-अपनी समस्याएं हैं, जिनके बारे में कोई बात नहीं कर रहा। नवगछिया अनुमंडल की बात करें तो कटाव बड़ी समस्या है। रंगरा में जहांगीरपुर बैसी का अस्तित्व खतरे में है। तिनटंगा दियारा घाट, ननकार (बिहपुर), इस्माइलपुर में भी कटाव बड़ी समस्या है। हर साल आने वाले बाढ़ और विस्थापन पर कोई बात नहीं करने वाला।
कोसी की जीवंत धार खरनई पूरी तरह प्रदूषित हो गई, अस्तित्व खत्म हो रहा। खेती-किसानी की बात करें तो केला-मक्का का नकली बीज और खाद की कालाबाजारी पर कोई लगाम नहीं है। बड़ी मेहनत से किसान फसल तैयार करते हैं और तब तक मार्केट रेट डाउन हो जाता है। सरकारी खरीद की व्यवस्था अव्यवहारिक है।
अतिक्रमण अपने आप में बड़ी समस्या बना हुआ है। छोटे-मोटे कस्बे में भी अभियान चला कर कार्रवाई हो रही, लेकिन नवगछिया में कोई असर नहीं। कुछ बुद्धिजीवी जिम्मेदारों को ध्यान दिलाएं भी तो उनका आवेदन रद्दी की ढेर में फेंक दिया जाता रहा है।
NH31 हाइवे खूनी खेल का गवाह बन रहा। हाइवे किनारे की जमीन का रेट दिल्ली का रिकॉर्ड तोड़ रहा और इसलिए जमीन विवाद में हर हफ्ते क्राइम हो रहा। नवगछिया बस नाम का पुलिस जिला बना हुआ है। अपराध पर लगाम नहीं है और किसी नेता के मुंह में जुबान नहीं है।
किसी भी पार्टी के कैंडिडेट इन स्थानीय मुद्दों पर एक शब्द नहीं बोल रहे। बहुत संभव है कि उन्हें इन मुद्दों के बारे में पता ही नहीं। भागलपुर लोकसभा, खासकर नवगछिया में लोगों के ध्यान में मोदी या गांधी फैमिली क्यों रहेगी? यहां के लोगों की अपनी समस्याएं हैं, पहले उन्हें प्राथमिकता मिले। लोग अपनी नागरिक जिम्मेदारी का ध्यान रखेंगे, वोट देंगे, लेकिन उनके मुद्दों पर कम से कम बात तो हो!
संकलन : बरुण बाबुल
एवं
- निलेश कुमार भगत
दिल्ली बेस्ड जर्नलिस्ट
(11 साल से अलग-अलग शहरों/मीडिया हाउसों में काम कर रहे हैं)
स्थाई निवास- नवगछिया