फूलों में असली नकली मैं अंतर कर पाना दर्शकों के लिए हो रहा था मुश्किल
भागलपुर।कागज का फूल भी महकता है,
जब कोई मोहब्बत से दे जाता है।
बिहार के भागलपुर में 35वां पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। पुष्प मित्र के सौजन्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कोरोना काल के बाद एक बार फिर से भागलपुर के पुष्प मित्र के बगिया का फूल आम शहरी के लिए प्रदर्शित किया गया था। रंग बिरंगी फूलों से सजा प्रदर्शनी बहुत ही ज्यादा आर्कषक दिख रहा था। कौन सा फूल असली था और कौन सा नकली , पहचानना मुश्किल था। फूल प्रेमी राजा बोस, सुजाता शर्मा, संजय सकल,
मिथिलेश सिन्हा, चंद्रशेखर सिंह जैसे कई पुष्प मित्र बता रहे हैं कि बढ़ती आबादी और बढ़ती शहरीकरण के बीच खिला हुआ फूल आपको जो शुकुन देगा वह अकल्पनीय है। जब कोरोनकाल का दौर था, तब जो ऑक्सीजन की कमी का रोना रोया गया, उस कड़ी में शहरी आबादी के बीच गार्डनिंग और फ्लॉरिंग की महत्ता देखी गई थी। पुष्प मित्रों का कहना है कि घनी आबादी के बीच शहरीकरण के होड़ में हर किसी को फूल से मोहब्बत करनी चाहिये। चुकी ग्रामीण आबादी के बीच आज भी गाछ गछौली की कमी नहीं है, लेकिन शहरी आबादी के इको सेंस को विकसित करने की जरूरत है, बरना आने वाले जेनेरेशन के लिए जो चुनौती होगी वह अकल्पनीय है।