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22 मार्च यानी मंगलवार काे विश्व जल दिवस है। सभी काे स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल और उसका संरक्षण इस दिन काे मनाने की मुख्य वजह है। इस साल भागलपुर समेत पूरे सूबे में मार्च से ही भीषण गर्मी शुरू हाे गई है। शहर में पेजयल के दाे मुख्य स्राेत हैं। एक गंगा और दूसरा ग्राउंड वाटर। लेकिन दाेनाें की स्थिति ही अलार्मिंग है।

गंगा में शहर के हनुमान घाट के पास 15 साल पहले मार्च में नाव व जहाज से ही पार हाे सकते थे, लेकिन अभी वहां कमरभर ही पानी है। महिलाएं दियारा से घास लाने के लिए पैदल ही उस पार चली जाती हैं। गंगा का जलस्तर कम हाेने के कारण बरारी वाटर वर्क्स के इंटेकवेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है।

पंप लगाकर पानी लाया जा रहा है। वहां गाद भर जाने के कारण हर 15 दिन पर माेटर जल जाते हैं। साेमवार काे वेट इंटेकवेल का माेटर जल गया। इससे शहर में जलापूर्ति प्रभावित हाे रही है।

निगम के 300 फीट वाले बाेरिंग पहले ही दम ताेड़ चुके हैं। अब जगह-जगह हैंडपंप भी सूख रहे हैं। वार्ड 31 स्थित जवारीपुर में हैंडपंप सूख गया है। वहां बगल में लगे जनता नल के छाेटे से निकल पाइप से करीब 50 परिवार पानी लेता है। बगल में नाला है। इस नल से मटमैला दुर्गंधयुक्त पानी आता है। 80 वर्षीय साेना देवी कहती हैं पानी में कादाे छैय।

नाली नियर पानी आवे है, महकैय छैय। एक तरफ पानी की किल्लत है ताे दूसरी ओर शहर के कालीबाड़ी राेड, खंजरपुर व भीखनपुर समेत दर्जनभर से ज्यादा इलाकाें में लीकेज से पानी की बर्बादी हाे रही है।

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