


भागलपुर जिले में जल संकट समय से पहले ही विकराल रूप लेने लगा है। अप्रैल महीने में ही जिले की नदियाँ, तालाब और नहरें सूखने लगी हैं। भूजल स्तर इतना नीचे चला गया है कि कई मोहल्लों में पानी की भारी किल्लत हो गई है। ऐसे में भागलपुर की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर मानी जाने वाली चंपा नदी का हाल तो और भी चिंताजनक है।

कभी राजा कर्ण के स्नान स्थल के रूप में पूजित यह नदी अब केवल नाम भर की रह गई है। चंपा नदी पूरी तरह सूख चुकी है और उसमें शहर के नालों का गंदा पानी बहाया जा रहा है। इसका पानी अब न तो आचमन योग्य है, न ही उपयोग योग्य। स्थानीय लोग अब इसे “चंपा नाला” कहकर पुकारने लगे हैं, जो कि प्रशासनिक उदासीनता और पर्यावरणीय उपेक्षा की एक दुखद तस्वीर है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अंधाधुंध अतिक्रमण, नदी की सफाई में लापरवाही और भूजल दोहन ने इस स्थिति को जन्म दिया है। अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो भागलपुर जैसे ऐतिहासिक शहर को जल संकट और प्रदूषण की दोहरी मार झेलनी पड़ेगी।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने चंपा नदी के पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए अभियान चलाने की बात कही है। लोगों ने प्रशासन से नदी की सफाई, नाला रोकथाम और जल संरक्षण योजना लागू करने की माँग की है।
