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अमरपुर से नवगछिया तक से आ रहे मरीज, कहा— सुबह से बैठते हैं, दोपहर में कहा जाता है सिर्फ गर्भवती का होगा अल्ट्रासाउंड

भागलपुर: सदर अस्पताल में मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। खासकर अल्ट्रासाउंड विभाग की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कोई मरीज 15 दिन से, कोई 5 दिन से, तो कोई 3 दिन से रोजाना चक्कर काट रहा है, लेकिन उसे सिर्फ निराशा मिल रही है।

मरीजों ने आरोप लगाया कि अल्ट्रासाउंड विभाग में पदस्थ डॉक्टर सुबह से मरीजों को बिठाकर रखते हैं और दोपहर बाद यह कहकर लौटा देते हैं कि “यहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं का ही अल्ट्रासाउंड होता है।” हैरानी की बात यह है कि इस नियम की कोई स्पष्ट सूचना विभाग की दीवारों पर चिपकी नहीं है, जिससे आम मरीजों को इसकी जानकारी मिल सके।

दूरी-दूरी से इलाज के लिए आए मरीजों की परेशानी और भी बड़ी है। अमरपुर, दरियापुर, नवगछिया और घोघा से आने वाले मरीजों को बार-बार लौटाया जा रहा है। मरीजों का कहना है कि वे सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन अंत में सिर्फ निराशा हाथ लगती है।

इस मुद्दे पर जब सदर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजू कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा, “मैं अभी छुट्टी से लौटा हूं, अगर मुझे पहले जानकारी मिलती तो किसी मरीज को लौटने नहीं देता।”

डॉक्टर राजू कुमार के इस जवाब से सवाल उठता है कि मरीज इतने दिनों से अस्पताल में भटक रहे थे, तो क्या उन्हें इसकी जानकारी वाकई नहीं थी? क्योंकि सदर अस्पताल में उनकी भूमिका बेहद प्रभावशाली मानी जाती है—यहां तक कि कई लोग कहते हैं कि सिविल सर्जन से भी अधिक असर उनका चलता है।

अब देखना होगा कि इस खबर के सामने आने के बाद मरीजों को राहत मिलती है या नहीं। कई मरीजों ने बयान देने से भी मना कर दिया, उनका कहना था कि अगर खबर छपेगी तो डॉक्टर इलाज करना बंद कर देंगे। यह डर इस बात को साफ करता है कि सरकारी अस्पतालों में आमजन की स्थिति कितनी दयनीय है।

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