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भागलपुर/ निभाष मोदी

बिहार के भागलपुर जिले को सिल्क के भी नाम से जाना जाता है यहां की सिल्क ने बिहार को हमेशा से देश विदेशों में गौरवान्वित किया है। जिसके चलते भागलपुर का नाम सिल्क सिटी भी पड़ा लेकिन अब यहां के बुनकर कोरोना के बाद महंगाई की मार झेल रहे हैं। दरअसल यहां सूत की कीमत दोगुनी तीगुनी तक बढ़ी है। जिसके बाद देश के अन्य राज्यों व विदेशों में डिमांड कम हो गई, बीते दो साल कोरोना ने बुनकरों की कमर तोड़ दी थी अब महंगे हो रहे सूत परेशानीयों का सबब बन गया है।

सिल्क तसर, सिल्क मलबरी, सिल्क मूंग, लिनन की कीमत दो साल के अंदर ही तीगुनी हो गई। जो तसर धागा दो वर्ष पहले पैतालीस सौ से पांच हजार रुपये किलो के भाव से मिल रहे थे वह पचहत्तर सौ से आठ हजार तक पहुंच चुका है। धागों की कीमत बढ़ने से कपड़े की लागत बढ़ गई ऐसे में महानगरों व विदेशों के व्यापारी ऊंची कीमत पर कपड़े लेने से इंकार कर रहे हैं। सूत की बढ़ती कीमत के चलते 50 फ़ीसदी तक कारोबार प्रभावित हुआ है। बुनकरों के कई पावरलूम बंद हो चुके हैं। यहां के डल चादर का ही सिर्फ 80 करोड़ का सालाना कारोबार होता है। भागलपुर के तीस हजार से अधिक बुनकर सिल्क कारोबार पर आश्रित है।

बाहरहाल सिल्क नगरी के बुनकरों पर सरकार अपनी नजरें इनायत करें तो स्थिति फिर से बेहतर होने की संभावना है साथ ही साथ इससे सिल्की की भी स्मिता बरकरार रहेगी।

बुनकर मोहम्मद शाह आलम ने बताया कि 3 साल पहले तक कारोबार बेहतर था। अब सूत की कीमत बढ़ने लगी तो कारोबार मंदा हो गया ,मजदूरी भी घट गई। घरेलू बाजार भी स्थिति सही नहीं है और विदेशों से भी आर्डर कम आने लगे है।

भागलपुर क्षेत्रीय हस्तकरघा समिति के पूर्व अध्यक्ष अबरार अंसारी ने बताया कि सूत की कीमत बढ़ने से कपड़े की कीमत बढ़ी है और जब व्यापारी खरीदने से मना करते हैं तो इसका असर बुनकरों पर पड़ता है। भागलपुर के बुनकरों की किस्मत लूडो के सांप सीढ़ी जैसी है काफी मेहनत के बाद ऊपर चढ़ते हैं उसके बाद कभी कोरोना की मार तो कभी दंगा की मार तो कभी महंगाई की मार उसे नीचे ले आती है। सिल्क, लिनन महंगे हुए विदेशों से आर्डर कम हो गए। राज्य और केंद्र सरकार बुनकरों पर नजर दे साथ ही यार्न बैंक बनवाया जाए तब बुनकरों के हालात सुधरेंगे।

वहीं इसको लेकर बिहार सरकार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि सिल्क के अस्तित्व को बचाया जाएगा। केंद्र के सहयोग से यहां एक हैंडलूम भवन 25 करोड़ की राशि से बनेगा पियूष गोयल से बातचीत हुई है। सिल्क की डिमांड कम हुई है। बाजार उपलब्ध कराने के लिए उद्योग विभाग को काम करना चाहिए।

भागलपुर विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से बुनकरों की स्थिति अच्छी नहीं है। बाहर से जो धागे आ रहे हैं वह महंगे हो गए है। यहां हवाई अड्डा नहीं है जिससे विदेशों में डिमांड कम हो जाती है। हवाई सेवा शुरू होगी उस दिन बिक्री बढ़ेगी यहां पर भी सिल्क उद्योग लगेंगे। यहां के सिल्क से सिर्फ भागलपुर का नहीं पूरे विदेशों में बिहार और भारत का नाम रोशन होता है।

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