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नवगछिया : दुर्गा संस्कृत विद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष में भ्रमरपुर में आयोजित भागवत कथा में डा. राम कृपाल त्रिपाठी ने भगवान की भक्ति और उसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भक्ति का फल ज्ञान और वैराग्य है।
डा. त्रिपाठी ने बताया कि ज्ञान का अर्थ जानना और वैराग्य का अर्थ मानना है। उन्होंने यह भी कहा, “हम जानते तो हैं, लेकिन मानते नहीं। इसलिए हम भगवान की भक्ति प्राप्त नहीं कर सकते।”

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जीवन का हर कर्म जब भगवान को समर्पित होता है, तब वह परम प्रिय होता है। ब्रज की गोपियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गोपियाँ हर कार्य भगवान को समर्पित करती थीं, जिससे भगवान हर पल ब्रज और गोपियों को याद करते हैं।
कथा से पूर्व दीप प्रज्ज्वलन समारोह में महंत श्री नवल किशोर दास जी, प्रो. डा. ज्योतिन्द्र चौधरी, और पंडित शशिकांत झा ने भाग लिया। मंच संचालन प्रोफेसर अरविंद कुमार झा ने किया, जबकि गणमान्य व्यक्तियों में नित्यानंद झा, शंभू गोस्वामी, संजय झा, जटाशंकर झा, और धनंजय झा उपस्थित थे।

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