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सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया भाग, गूंजा सत्य और अहिंसा का संदेश

भागलपुर। जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती गुरुवार को भागलपुर शहर सहित आसपास के सभी जैन मंदिरों में श्रद्धा, भक्ति और धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर सुबह कोतवाली चौक स्थित दिगंबर जैन मंदिर से प्रभात फेरी निकाली गई, जिसके बाद मंदिर परिसर में भगवान महावीर का सामूहिक पूजन हुआ।

इसके पश्चात एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो कोतवाली चौक से आरंभ होकर गौशाला रोड, चुनहारी टोला, खलीफाबाग चौक, स्टेशन चौक होते हुए पुनः जैन मंदिर कोतवाली पहुंची। शोभायात्रा में भगवान महावीर की प्रतिमा को विशाल रथ पर विराजमान किया गया था, जिसे श्रद्धालु भक्ति भाव से शहर भर में लेकर चले। पूरे मार्ग पर शोभायात्रा का स्वागत किया गया और शहर भक्तिमय माहौल से गुंजायमान हो गया।

शोभायात्रा में पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में तो महिलाएं केसरिया परिधान में नजर आईं। जैन समुदाय के सैकड़ों श्रद्धालु इसमें शामिल हुए और आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

इस दौरान अशोक कुमार जैन ने बताया कि भगवान महावीर को अंग प्रदेश की धरती से विशेष लगाव था। कहा जाता है कि उन्होंने चंपानगर सिद्ध क्षेत्र में तीन बार चातुर्मास किया था। जैन धर्मावलंबियों के अनुसार यह महीना पावन माना जाता है। भगवान महावीर ने अपने जीवन के माध्यम से पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा और संयम का संदेश दिया।

भागलपुर की सड़कों पर निकली यह शोभायात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रेरणा बनकर उभरी, जिसने लोगों को आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों से जोड़ने का कार्य किया।

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