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नवगछिया : दुर्गा संस्कृत उच्च विद्यालय, भ्रमरपुर नारायणपुर के शताब्दी वर्ष पर ठाकुरबाड़ी मैदान में आयोजित भागवत कथा के छठे दिन रविवार को जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीरामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज पहुंचे। भजन सम्राट डॉ. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक के संयोजन में डॉ. राम कृपाल त्रिपाठी गुरुजी यहां भागवत कथा सुना रहे हैं।

स्वामी आगमानंद महाराज ने कहा कि यह उनके लिए शुभ संयोग है कि उन्हें गुरुजी की कथा सुनने का अवसर मिला। उन्होंने भागवत कथा के मर्म को समझाते हुए नाम जप और सत्संग की महिमा का वर्णन किया।

डॉ. राम कृपाल त्रिपाठी गुरुजी ने कर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि सभी का उद्देश्य सुख प्राप्त करना होता है। कोई इहलोक में तो कोई परलोक में सुख चाहता है। उन्होंने कहा कि सत्संग से बढ़कर कोई दूसरी औषधि नहीं है। सत्पुरुषों का संग करें, उनसे भगवत चर्चा करें। संतों की संगति करें और उनके प्रसंग सुनें।

इस दौरान डॉ. त्रिपाठी ने स्वामी आगमानंद महाराज को दिव्य और सिद्ध संत बताते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें स्वामी आगमानंद महाराज के दर्शन का अवसर मिला।

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि इंद्रियां कभी तृप्त नहीं होतीं। एक इच्छा पूरी होने पर दूसरी जाग उठती है। उन्होंने कहा कि जहां सत, चित और आनंद हैं, वहीं सच्चिदानंद है। रास लीला में सभी धर्म शास्त्र समाहित हैं।

उन्होंने कहा कि ईश्वर से कोई न कोई संबंध बनाएं। अपने प्राण को भगवान के पास धरोहर के रूप में रख दें, जैसे गोपियों ने रखा था। भगवान कृष्ण के इस धरा को छोड़ने के बाद ही गोपियों और उनके स्वजनों का निधन हुआ था।

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि आप सब धन्य हैं, जिन्हें स्वामी आगमानंद जैसे संत का सान्निध्य प्राप्त है, जिनका एकमात्र उद्देश्य सभी का कल्याण है। उन्होंने कहा कि स्वामी आगमानंद महाराज का इस धरा पर अवतरण ही जनकल्याण के लिए हुआ है।

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