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भागलपुर/ निभाष मोदी

नगर आयुक्त ने कहा जल्द हटाए यहां से प्रतिमा वही प्रतिमा निर्माण स्थापना समिति के लोगों ने कहा अगर प्रतिमा हटेगी तो होगा बवाल

बिहार में भागलपुर जिले के नगर निगम परिसर में संविधान रचयिता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर काफी घमासान मचा हुआ है, एक तरफ जहां प्रतिमा निर्माण स्थापना समिति के लोग रातों-रात चुपके से नगर निगम परिसर में प्रतिमा को रखकर चले गए वही सुबह आकर जब नगर आयुक्त ने उस प्रतिमा को देखा तो वह आग बबूला हो गए और सभी कर्मियों की क्लास तक ले डाली और तुरंत में आदेश जारी किया की बाबा साहब की प्रतिमा को जल्द से जल्द इस परिसर से हटाया जाए फिर क्या था सभी कर्मी काफी तेजी में आ गए और कवायद शुरू हो गई उस प्रतिमा को नगर निगम परिसर से हटाने की लेकिन यह प्रतिमा इतनी भारी थी कि नगर निगम के 20- 25 कर्मी भी उसे हिला तक नहीं पाए यह आदम कद की प्रतिमा लगभग ₹200000 के खर्च से जयपुर से लाए गए थे और इनका भजन भी काफी भारी था, नगर निगम के कर्मियों के द्वारा उसे हटाने के क्रम में मूर्तियों में दो चार जगह स्क्रैच भी आ गए, मूर्तियों में स्क्रैच देखकर प्रतिमा निर्माण स्थापना समिति के संयोजक ने कहा अगर प्रतिमा में किसी तरह की स्क्रैच आती है या फिर प्रतिमा को कुछ भी होता है तो उसके जिम्मेदार पूर्णरूपेण नगर निगम के कर्मी और पदाधिकारी होंगे, साथ ही चेतावनी दी गई की प्रतिमा से उनकी भावना जुड़ी हुई है कुछ गड़बड़ हुआ तो जमकर आंदोलन होगा फिर क्या था यह विवाद तूल पकड़ लिया और पूरे जिले में यह बातें आग की तरह फैल गई, संविधान रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जितने चाहने वाले थे जितने समर्थक थे उनकी हुजूम नगर निगम परिसर में पहुंच गई।

प्रतिमा निर्माण स्थापना समिति के संयोजक संतोष कुमार ने कहा मूर्ति आज शुक्रवार को भागलपुर पहुंचनी थी लेकिन गुरुवार की रात ही मूर्ति भागलपुर आ गई जिसके चलते रातों-रात नगर निगम परिसर में मूर्ति को रखना पड़ा बाबा साहब एक संवैधानिक महापुरुष हैं उनके प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ ना हो अगर ऐसा कुछ होता है तो हम लोगों की भावना आहत होगी और भावना आहत होगी तो प्रतिरोध का विराट स्वरूप देखने को मिलेगा उन्होंने कहा जिस जगह पर बाबा साहब की प्रतिमा रखी गई है उसी जगह प्रतिमा रखने के लिए भूमि पूजन पहले ही हो चुका है फिर इस तरह की बात नगर आयुक्त को शोभा नहीं देता की प्रतिमा को यहां से जल्द से जल्द हटाया जाए अगर प्रतिमा हटेगी तो पुरजोर विरोध किया जाएगा।

नगर निगम के कर्मी ने कहा बिना किसी के आदेश के नगर निगम परिसर में बाबा साहब की प्रतिमा लाकर रातों-रात रख दी गई ना तो नगर आयुक्त से पूछा गया ना ही किसी कर्मी से ,इसको लेकर नगर आयुक्त ने प्रतिमा को परिसर से हटाने की बात कही है।

वहीं नगर निगम के कर्मी व अतिक्रमण शाखा प्रभारी शंकराचार्य उपाध्याय ने कहा बाबा साहब की प्रतिमा रात में लाई गई और चुपके से यहां रख दिया गया है कौन रखा है यह नहीं बता सकता हूं ना ही नगर आयुक्त से ऐसी कोई आदेश ली गई थी साथ ही उन्होंने कहा नगर आयुक्त का सख्त आदेश है कि इस प्रतिमा को जल्द से जल्द इस परिसर से हटाया जाए वही इस प्रतिमा को अब हटा कर कहां रखा जाए यह भी अभी तक निश्चित नहीं हुआ है।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रतिमा को चुपके से रातों-रात रखने के बाद नाइट गार्ड कैलाश दास और कामदेव दास को नगर आयुक्त ने तत्काल कार्यभार से हटा दिया है कैलाश दास ने कहा रात के करीब 12:00 बजे नगर निगम में आदम कद की प्रतिमा को रखने के लिए गेट खोलने को कहा गया मेरे गेट नहीं खोलने पर विकास हरी नामक व्यक्ति का कॉल आया तभी मैंने गेट खोला गार्ड का यह भी कहना हुआ कि विकास हरि नगर निगम के बड़ा बाबू हैं उनके फोन आने पर ही हम लोगों ने गेट खुला है फिर वही गार्ड ने यह भी कहा कि मोबाइल पर विकास हरि से बात हुई या नहीं यह मैं कंफर्म नहीं कह सकता हूं क्योंकि मैं नींद से जगा था लेकिन मैंने गेट खोल दी और कुछ लोगों ने प्रतिमा रख कर तुरंत निकलते बने।

गौरतलब हो कि 1 साल पहले नगर निगम परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर पूर्व में सीमा शाह के अलावे कई अन्य सदस्यों के साथ बैठक की गई थी और उस में पारित किया गया था कि नगर निगम परिसर में संविधान रचयिता के आदमकद प्रतिमा स्थापित होगी लेकिन मामला यहां पर तूल पकड़ लिया की प्रतिमा निर्माण स्थापना समिति के लोगों ने नगर निगम के नगर आयुक्त से नाही पूछी नाही जानकारी दी और चुपचाप रात में यह प्रतिमा नगर निगम परिसर में रख दिया गया, शायद यह बात नगर आयुक्त को गवारा नहीं हुआ।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर रातों-रात चुपके से संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को इस तरह से क्यों रखा गया प्रतिमा में कई जगह स्क्रैच तक आ गए हैं साथ ही साथ यह भी अभी सुनिश्चित नहीं हुआ है आखिर नगर निगम से उसे हटाया जाए तो रखा कहां जाए। अगर संविधान निर्माता जैसे महापुरुषों की प्रतिमा के साथ ऐसी अवहेलना हो रही हो तो संविधान कैसे बचेगा।

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