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2023-24 का बजट संसाधन बढाने में सरकार की वित्तीय विफलता का दस्तावेज हुआ पारित

भागलपुर।भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडे ने कहा कि महागठबंधन सरकार का पहला बजट यथास्थितिवादी और केंद्र पर आश्रित बजट है।
रोहीत पांडेय ने कहा कि 1 लाख करोड़ के योजना व्यय में इस साल कोई वृद्धि नहीं की गई, इसलिए ग्रामीण विकास, समाज कल्याण और कृषि जैसे 10 महत्वपूर्ण विभागों के बजट में भी कोई बढोतरी नहीं हुई। शिक्षा विभाग के बजट में मात्र 2 करोड़ की वृद्धि ऊँट के मुँह में जीरा जैसी है। उन्होंने कहा कि बिहार के.

2023-24 के पूरे बजट की 60 फीसद राशि (1 लाख 56 हजार करोड़ रुपये) केंद्रीय सहायता से प्राप्त होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूंजीगत परिव्यय, यानी निर्माण कार्यों पर खर्च में पिछले साल की अपेक्षा 492.33 करोड़ की कमी चिंता का विषय है। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी। श्री पाण्डेय ने कहा कि बजट में पूंजीगत परिव्यय के लिए 29257 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह राशि वर्ष 2021-22 की तुलना में 1546 करोड़ रुपये कम है।


उन्होंने कहा कि बिहार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 1,02,737 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह पिछले साल की तुलना में 11,556 करोड़ रुपये अधिक है।
श्री पांडे ने कहा कि केंद्रीय अनुदान के तौर पर राज्य को 53,337 करोड़ करोड़ रुपये मिलेंगे। उन्होंने कहा कि यह बजट अपने संसाधन बढाने में नीतीश सरकार की वित्तीय विफलता का निराशाजनक दस्तावेज है। उक्त जानकारी जिला मीडिया प्रभारी इंदु भूषण झा ने दी।

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