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प्रदीप विद्रोही, भागलपुर।
भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में आयोजित अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना की 12वीं कार्यशाला (11-14 फरवरी) का समापन शुक्रवार को हुआ। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था। समापन सत्र में कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
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कार्यशाला का समापन सत्र डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा अध्यक्षित किया गया, जबकि डॉ. एस. प्रिया देवी, वैज्ञानिक, आईआईएचआर, बेंगलुरु ने संचालन किया। सत्र में डॉ. सुभाष चंद्रा, डॉ. पी.सी. त्रिपाठी, डॉ. प्रकाश पाटिल, और डॉ. रविंद्र कुमार जैसे प्रमुख वैज्ञानिक मौजूद थे।
तकनीकी सत्र एवं वैज्ञानिक उपलब्धियां:
कार्यशाला के दौरान कुल 14 तकनीकी सत्रों में राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान निष्कर्षों और उपलब्धियों पर चर्चा की। प्रत्येक सत्र में इन निष्कर्षों पर गहन विचार-विमर्श किया गया और विशेषज्ञों द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।
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किसानों के साथ खुला संवाद:
13 फरवरी को आयोजित एक विशेष सत्र में किसानों और वैज्ञानिकों के बीच खुला संवाद हुआ। इस सत्र में किसानों ने आम की फलन समस्या, पोस्ट-हार्वेस्ट तकनीकों की कमी, कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता, और अन्य समस्याओं पर चर्चा की। भागलपुर के किसान मनीष कुमार सिंह, मुंगेर के धनंजय कुमार और अशोक चौधरी सहित अन्य किसानों ने इन मुद्दों को उठाया। वैज्ञानिकों ने आश्वासन दिया कि वे इन समस्याओं को अपने अनुसंधान में प्राथमिकता देंगे।
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नई फल प्रौद्योगिकी का विमोचन:
समापन समारोह में 11 नई फल प्रौद्योगिकियों का विमोचन किया गया। विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले केंद्रों और वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। इनमें अरावली केंद्र को सर्वाधिक राजस्व उगाही के लिए, लुधियाना केंद्र को अनुसूचित जाति क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए, और मेगजिमा केंद्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए सम्मानित किया गया।