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भागलपुर,बिहार के किसान अभी भी मेघ ताक रहे हैं तो दिल्ली पानी पानी है। ये तो अजीबो गरीब कहानी है। अब सवाल है कि ऐसा हुआ क्यों? दरअसल उत्तर पश्चिम क्षेत्र में भारी बारिश से मची तबाही के पीछे जलवायु परिवर्तन एक बड़ा कारण है। पहाड़ दरक रहा है, जल सैलाब विनाशकारी रूप लिए हुए है, नदियां अपना रास्ता तालाश रही है, लगातार पहाड़ की खुदाई से इलाके की इकोलॉजी असंतुलित हो चली है।

शोध परक एक वैज्ञानिक आंकड़ों के मुताबिक सन 2000 से 2022 तक ग्लेशियर के पिघलने और भूमिगत जल के विदोहन से पृथ्वी की ऊपरी सतह बदल रही है। उसके संकेत आपको दिख भी रहे हैं। बढ़ती आबादी की जरूरतों और सिंचाई के लिए भारी मात्रा में जमीन से पानी निकालने के परिणाम भयावह होने लगा है। पहाड़ी इलाकों में उत्तराखंड और हिमाचल के नदियों का रौद्र रूप और उसकी तबाही के अवशेष आपने देखे हैं। कैरी रिभर गंगा मैदानी इलाकों में पहाड़ी इलाकों की तबाही लेकर आ रही है। फिर…???

हिमालियन रेंज की पहाड़ियों से निकली नदियों के जलप्रलय की धारा को लेकर मैदानी इलाकों के अधिकारी अलर्ट हो गए हैं। उत्तर भारत की कैरी रिभर गंगा किनारे ऊपर के जलप्रलय का नुकसान कम हो, उस बाबत भागलपुर का जिला प्रशासन अलर्ट मोड में है। खास बातचीत में भागलपुर के डीएम सुब्रत सेन ने बताया कि फ्लड की आहट को लेकर सारी तैयारी कर ली गई है।
बाइट – सुब्रत सेन, डीएम, भागलपुर।

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