बिहार सरकार का शिक्षा विभाग प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से फिर राय लेगा। अभिभावकों से पूछा जाएगा कि कोरोना संकट को देखते हुए वे कब से अपने बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित मानते हैं। अभिभावकों के सामने तीन विकल्प भी रखा जाएगा कि अगस्त, सितम्बर या फिर अक्टूबर में से किस महीने में वे चाहेंगे कि बिहार के स्कूल खोल दिए जाएं।
दरअसल, अभिभावकों से यह रायशुमारी केन्द्र सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग के निर्देश पर होगी। केन्द्र सरकार ने बिहार समेत सभी राज्यों से इस बाबत अभिभावकों से सुझाव लेने को कहा है। केन्द्रीय एमएचआरडी के आप्त सचिव राजेश सेम्पले द्वारा सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश भेजा गया है। बिहार को भी तीन बिंदुओं पर अभिभवकों से राय लेने को कहा गया है। वह कौन सा माकूल समय होगा, जिसमें अभिभावक चाहते हैं कि स्कूल खोला जाय। यह अगस्त हो, सितम्बर हो या फिर अक्टूबर का महीना हो। दूसरा कि जब स्कूल खोला जाय तो अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक स्कूलों से क्या अपेक्षा रखेंगे। अगर अभिभावकों की कोई और राय हो तो राज्य उसे भी इकट्ठा करें।
केन्द्र ने कहा है कि अभिभावकों की राय को समेकित कर एक निष्कर्ष निकालकर शीघ्र राज्य भेजें ताकि इसपर आगे की कार्रवाई की जा सके। जानकारी के मुताबिक एक-दो दिनों में बिहार अभिभावकों की राय से केन्द्र को अवगत करा देगा।
डेढ़ माह पहले भी बिहार नहीं था स्कूल खोलने के पक्ष में
गौरतलब है कि कोरोना संकट को लेकर प्रदेश के स्कूलों समेत सभी शिक्षण संस्थान 14 मार्च से ही बंद हैं। जून के आरंभ में भी शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक संस्थानों को खोलने को लेकर प्रदेशभर के बच्चों व अभिभावकों से सुझाव लिए थे। उन्हें समेकित कर केन्द्र सरकार को 7 जून को भेजा गया था। तब भी बिहार के ज्यादातर अभिभावकों व बच्चों ने कहा था कि अभी स्कूल, कॉलेज, संस्थान खोलने का उचित समय नहीं है। बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। वे स्वस्थ रहेंगे, तभी ज्ञानार्जन भी कर सकेंगे।
जून में इन प्रमुख बिंदुओं पर ली गई थी राय
-विद्यालय, संस्थानों को किस तिथि से खोला जाय
-विद्यालय के संचालन की अवधि क्या हो
-कक्षा का संचालन अधिकतम कितने बच्चों के साथ किया जाय
-कक्षा की अवधि (घंटी) क्या हो
-कक्षा में बैठने की व्यवस्था कैसी हो
-प्रार्थना सत्र हो अथवा नहीं
-विद्यालय में प्रवेश व निकास की व्यवस्था कैसी हो
-विद्यालय और कक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे लागू किया जाय