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भागलपुर : बिहार में फर्जी शिक्षकों की बढ़ती संख्या के खिलाफ एक नया मोड़ आया है। गुमनाम पत्रों के माध्यम से जिला शिक्षा विभाग को सूचित किया गया है कि कई शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर नियुक्ति लेकर स्कूलों में कार्यरत हैं। इस खुलासे के बाद बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा बहाल किए गए शिक्षकों की जांच शुरू हो गई है। पड़ताल में पता चला है कि गुमनाम पत्रों में यह बताया गया है कि सुल्तानगंज, नाथनगर, शाहकुंड और रंगरा प्रखंड के कई शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। इन पत्रों में संबंधित शिक्षकों के नाम और उनके फर्जी सर्टिफिकेट नंबर भी दिए गए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार अब तक छह से अधिक पत्र जिला शिक्षा विभाग को प्राप्त हो चुके हैं।

कुछ पत्र सीधे जिला शिक्षा पदाधिकारी के नाम भेजे गए हैं, जबकि कुछ मेल के माध्यम से भी भेजे गए हैं। इन पत्रों में विभिन्न प्रखंडों के शिक्षकों पर फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी प्राप्त करने का आरोप लगाया गया है।

अब तक जो पत्र प्राप्त हुए हैं, उनमें से दो पत्र उत्तर प्रदेश से भेजे गए हैं। इनमें आजमगढ़ निवासी रजनीश ने सुल्तानगंज में कार्यरत एक शिक्षक के खिलाफ फर्जी सर्टिफिकेट का आरोप लगाया है। इसके अलावा नाथनगर प्रखंड के मध्य विद्यालय जितवारपुर के शिक्षक के खिलाफ भी फर्जी सर्टिफिकेट पर नियुक्ति का आरोप लग चुका है।

जिला शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। विभाग ने आवेदनकर्ताओं से फर्जी सर्टिफिकेट के बारे में भेजे गए पत्र का सबूत भी मांगा है। अगर जांच में यह साबित होता है कि शिक्षकों के पास फर्जी सर्टिफिकेट हैं, तो ऐसे शिक्षकों की नौकरी समाप्त कर दी जाएगी।

डीपीओ स्थापना देवनारायण पंडित ने कहा कि जांच प्रक्रिया चल रही है, और विभाग स्तर पर इन शिकायतों की सत्यता की जांच की जा रही है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषी शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस प्रकार की फर्जी नियुक्तियों से शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, और विभाग की प्रतिष्ठा को भी नुकसान हो सकता है। इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई विभाग के द्वारा की जाएगी, ताकि इस प्रकार के मामले भविष्य में न हों।

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