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भारत सरकार के केंद्रीय बजट 2025 में बिहार के कृषि उत्पादों में शामिल मखाना को लेकर मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की गई है। इसके साथ ही, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में मखाना पर विशेष पोस्टल लिफाफे का विमोचन किया गया।

बिहार के कई जिलों में होता है मखाना उत्पादन

बिहार में मखाना उत्पादन मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, मधेपुरा, फारबिसगंज, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, अररिया, किशनगंज, बेगूसराय और शिवहर जिलों में किया जाता है। राज्य में मखाना का कुल उत्पादन क्षेत्र 10,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है।

मखाना बोर्ड की घोषणा का आधार

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने मिशन पूर्वोदय की जिम्मेदारी के बाद प्लानिंग कमीशन को बिहार के कृषि उत्पादों में मखाना को एक महत्वपूर्ण प्रोसेसिंग और अधिक मूल्य देने वाला जलफल बताया था। इसी प्रयास का नतीजा है कि आम बजट में मखाना बोर्ड की घोषणा की गई।

किसानों को मिलेगा फायदा या रहेंगे हाशिए पर?

हालांकि, जमीनी सच्चाई यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मखाना की कीमत 2000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इसका कितना लाभ वास्तव में किसानों तक पहुंच रहा है? क्या मखाना उत्पादक किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिल पाएगा, या फिर वे बिचौलियों के जाल में ही फंसे रहेंगे?

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