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माता के दर पर आए सर्पदंश पीड़ित को मिलता है जीवनदान

सावन माह के शुक्ल पक्ष के दिन लगता है भव्य मेला

नवगछिया के बिहपुर प्रखंड अंतर्गत सोनवर्षा गांव स्थित बड़ी भगवती मंदिर का इतिहास करीब सौ वर्ष पुराना है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष संजय कुंवर, उपाध्यक्ष चंद्रकांत चौधरी और सचिव पवन चौधरी बताते हैं कि गंगा के कटाव में गांव कट जाने के बाद, वे लोग सोनवर्षा आकर बस गए। इसके बाद ग्रामीणों ने यहां फूस का मंदिर बनाया, जिसे बाद में ग्रामीणों के सहयोग से पक्के मंदिर में बदल दिया गया।

मंदिर के प्रति इलाके के लोगों की बड़ी आस्था है। यहां सांप के काटे हुए लोगों को जीवनदान मिलता है। जो भी सच्चे मन से माता के दरबार में आकर चरणों में रखे नीर को पी लेता है, उसे कितना भी विषैला सर्प काटा हो, उसका जहर बेअसर हो जाता है।

मंदिर के पुजारी राधाकांत झा और सहायक पुजारी राजेश चौधरी उर्फ करकुन बताते हैं कि सावन माह के शुक्ल पक्ष के दिन यहां बड़ी धूमधाम से मेला लगता है। माता जिनकी मनोकामना पूरी करती हैं, वे नाग पंचमी के दिन पाठा की बली देते हैं। इस दिन करीब 500 पाठा का बली दी जाती है। उसी दिन कई परिवार अपने बच्चों का मुंडन भी करवाते हैं।

नौ अगस्त को यहां भव्य मेला का आयोजन होगा। मेले को लेकर ग्रामीण और कमेटी के सदस्य, जैसे राजेश चौधरी, जीवन चौधरी, नीलेश, सौरभ चौधरी, बिट्टू चौधरी, बबलू चौधरी समेत नए और पुराने पंचायत प्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका रहती है। मेले की सारी तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। लोग शुभ कार्य करने से पहले मां भगवती का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। साल भर यहां लोग पूजा करने आते हैं।

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