स्वास्थ्य नहीं, व्यापार है डॉक्टर का मकसद
बिहपुर में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से नवजात की मौत
नवगछिया। बिहपुर में चिकित्सा के नाम पर एक नया धंधा जोरशोर से फल-फूल रहा है। प्रखंड क्षेत्र में जगह-जगह फ़र्जी क्लीनिक और जांच घर खुल गए हैं, जहां न तो विभागीय लाइसेंस की जरूरत है और न ही मरीजों के जान की परवाह है। फर्जी क्लिनिक में अप्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टर द्वारा गर्भवती महिलाओं का खुलेआम ऑपरेशन हो रहा है। सफाईकर्मी एवं अयोग्य महिलाओं को नर्स के रूप में बहाल कर मरीजों के साथ छलावा किया जा रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार की देर शाम बिहपुर निचली बाजार स्थित अबैध रूप से संचालित एक फर्जी क्लिनिक में भर्ती प्रसूता के नवजात की जन्म होते ही मौत हो गई। घटना के बाद मरीज के परीजन हंगामा करने लगे इससे पूर्व ही डॉक्टर व इसके सहयोगियों के द्वारा मरीज के परीजन को कुछ लालच देकर शांत किया गया। मरीज खगरिया जिला के गोगरी जमालपुर का निवासी बताया गया। जबकि क्लिनिक के फर्जी डॉक्टर अमित कुमार नामक व्यक्ति गोगरी जमालपुर का रहने वाला बताया जाता है। वही क्लिनिक में आधा दर्जन से अधिक युवक-युवतियां व महिलाएं कार्यरत है। क्लिनिक के बाहर या अंदर कहीं भी न क्लिनिक और न किसी डॉक्टर के नाम का बोर्ड लगा है, जो फर्जी होने का एक पुख्ता प्रमाण है। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि इन फर्जी क्लीनिकों को बढ़ावा देने में इस इलाके के कुछ सफेदपोशों का हाथ है। जो कमीशन के चक्कर में दूसरे क्षेत्र से अप्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टर को बुलाते हैं और उस फर्जी डॉक्टर को निजी क्लिनिक के रूप में जगह व मकान उपलब्ध कराते हैं। फिर सरकारी अस्पताल के कुछ स्वास्थ्यकर्मियों, एएनएम, नर्स और एम्बुलेंस चालक की मिलीभगत से कमीशन लेकर मरीजों को बुलाने का दौड़ शुरू होता है।
जहां सरकारी अस्पताल के कर्मी दूर दराज के ग्रामीण इलाकों के भोले-भाले लोगों को झूठे वादों और कम खर्चे के बहाने फंसाकर इन क्लीनिकों में लाकर भर्ती करते है। यहां झोलाछाप डॉक्टरों की टोली न केवल इलाज कर रही है, बल्कि बिना किसी प्रशिक्षण के ऑपरेशन तक कर रही है। इन फर्जी लोगों के द्वारा मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।
कौन है इनका रखवाला? यह सवाल क्षेत्र के हर लोगों की जुबां पर है। लोगों का कहना है कि इन फ़र्जी क्लीनिकों पर प्रशासन की अनदेखी कोई संयोग नहीं, बल्कि साज़िश है। सफेदपोश नेता और रसूखदार लोग इन क्लीनिकों को अपने “प्रोटेक्शन” में चला रहे हैं। इन्हें न कानून प्रशासन का डर है और न दूसरे के जान का फिक्र।
‘मौत का ठेका’ सफेदपोशों के नाम: कहावत है, जहां रखवाले ही लुटेरे बन जाएं, वहां न्याय की उम्मीद बेईमानी है। बिहपुर में संचालित इन फर्जी क्लीनिकों पर यह बात सटीक बैठती है। यहां मरीजों का इलाज नहीं, मौत का ठेका दिया जा रहा है। यहां स्वास्थ्य नहीं, मात्र व्यापार हीं डॉक्टर का मकसद है। वही सफेदपोश नेताओं के लिए यह बस एक और कमाई का जरिया बन चुका है।
समाधान या तमाशा ?
प्रशासन और समाज के लिए यह सवाल है, क्या इन क्लीनिकों पर रोक लगेगी या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा? जवाब जो भी हो, बिहपुर के लोग अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं। इस बारे में भागलपुर सीएस से मोबाईल पर संपर्क नही हो सका।