रंगरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में घटी घटना
नवगछिया के रंगरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बिजली कटने के बाद जनरेटर के दो घंटे तक बंद रहने के कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप हो गई, जिससे मधेपुरा निवासी एक प्रसूता के नवजात शिशु की जन्म के डेढ़ घंटे बाद मौत हो गई। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने अस्पताल का घेराव कर हंगामा किया और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
मधेपुरा के मोहम्मद सऊद आलम अपनी पत्नी के प्रसव के लिए रंगरा अस्पताल पहुंचे थे। बच्चे का जन्म दोपहर 2:40 बजे हुआ, और उस समय बच्चा स्वस्थ था, जिसे ऑक्सीजन पर रखा गया था। लेकिन बिजली कटने के बाद जनरेटर समय पर चालू नहीं किया गया, जिसके कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई। जनरेटर में तेल न होने के कारण उसे चालू करने में काफी देर हो गई, और इसी वजह से बच्चे की मौत हो गई।
अस्पताल की लापरवाही पर परिजनों का आरोप
मृतक बच्चे के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और जनरेटर ऑपरेटर की अनुपस्थिति के कारण यह दुखद घटना हुई। उन्होंने बताया कि अस्पताल में जनरेटर चालू करने के लिए मरीजों से पैसा लेकर तेल भरवाया जाता है, और आधे घंटे तक जनरेटर चालू न होने के कारण बच्चे की मौत हो गई। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल के कर्मी समय पर जनरेटर को चालू नहीं करते और अक्सर मरीजों से पैसे मांगते हैं।
अस्पताल में हंगामा और पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद सैकड़ों की संख्या में स्थानीय ग्रामीण और मृतक के परिजन अस्पताल पहुंचकर हंगामा करने लगे। नाराज लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और जनरेटर ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग उठाई। इस बीच, रंगरा थाना की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और लोगों को शांत कराया।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
अस्पताल प्रभारी डॉक्टर रंजन कुमार ने कहा कि अस्पताल में संसाधनों की भारी कमी है, विशेषकर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की अनुपस्थिति से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। डॉक्टर रंजन ने स्वीकार किया कि अस्पताल में संसाधनों की कमी के कारण नवजात बच्चों की देखभाल में दिक्कतें आ रही हैं।
परिजनों ने लगाया नर्सों और डॉक्टरों पर गंभीर आरोप
मृतक बच्चे के मौसा ने आरोप लगाया कि अस्पताल में नर्सिंग छात्रों की ट्रेनिंग के दौरान मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एएनएम कॉलेज के छात्र ट्रेनिंग के लिए अस्पताल में आते हैं, लेकिन उनकी ड्यूटी के दौरान वे मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं, जिससे मरीजों की देखभाल ठीक से नहीं हो पाती।
इस दुखद घटना ने एक बार फिर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति को उजागर कर दिया है, और स्थानीय लोगों ने अस्पताल में बेहतर सुविधाएं और जवाबदेही की मांग की है।