ऋषव मिश्रा “कृष्णा” मुख्य संपादक
नवगछिया के बिहपुर विधानसभा में भाजपा अंतर कलह सतह पर आ गया है. बिहपुर विधानसभा में बुधवार को संपन्न हुए गोड्डा के चर्चित सांसद डॉ निशिकांत दुबे के कार्यक्रम में भाजपा के जिला अध्यक्ष विनोद कुमार मंडल सहित कई वरिष्ठ भाजपा ही नहीं दिखे.
भ्रमरपुर गांव स्थित संवाद कार्यक्रम में डॉ निशिकांत दुबे ने अपने संबोधन के माध्यम से भी अपनी नाराजगी को जगजाहिर किया और कहा कि बूथ कार्यकर्ता चुनाव में विजयश्री दिलाता है ना कि कोई भारी-भरकम नेता. हालांकि डॉ निशिकांत दुबे ने अपने संबोधन के माध्यम से आम कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया. लेकिन नवगछिया भाजपा के अग्रिम पंक्ति के नेताओं के बीच पूर्व का दरार डॉ निशिकांत दुबे के कार्यक्रम के बाद खाई का आकार ले चुका है.
हालांकि कार्यक्रम में उपस्थित ना होने वाले जिला अध्यक्ष और उनके समर्थक नेताओं के तरफ से किसी तरह का अधिकृत बयान अब तक सामने नहीं आया है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि कार्यक्रम को लेकर जिला अध्यक्ष को नजरअंदाज किया गया जिसके कारण जिलाध्यक्ष समेत पूरी टीम में कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया कि प्रथम दृष्टया देखने में भले ही ऐसा लग रहा है यह बिहपुर विधानसभा और नवगछिया की राजनीति है लेकिन बिहपुर में जो हुआ वह दिल्ली और पटना से तय हो रहा था. बाद आखिर क्या थी यह कहना मुश्किल है लेकिन बिहपुर में भाजपा की खेमे बंदी आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत नहीं है. कुल मिलाकर बिहपुर में अभी वही स्थिति है जो वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव में गोपालपुर की स्थिति थी. वर्ष 2015 में पूर्व सांसद अनिल कुमार यादव भाजपा का सिंबॉल लेकर आए थे तो दूसरी तरफ भाजपा के तत्कालीन प्रभावशाली नेता सुरेश भगत निर्दल चुनाव मैदान में कूद गए थे. पूर्व सांसद अनिल यादव की कमोबेश उतने ही मतों से हार हुई जितना मत निर्दल प्रत्याशी के रूप में सुरेश भगत ने प्राप्त किया. कहीं पर पूर्व में भी वही स्थिति ना हो जाए जो वर्ष 2015 में गोपालपुर में हुई थी.
भाजपा के कई शुभचिंतकों ने बड़े लीडरों से बिहपुर विधानसभा में अंतर कलह को दूर करने के लिए पहल करने की अपील की है. दूसरी तरफ डॉ निशिकांत दुबे के बिहपुर आगमन से भाजपा कार्यकर्ताओं में एक जोश का संचार हुआ है. कई ऐसे कार्यकर्ता जो डॉ निशिकांत दुबे को सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार देखते और सुनते हैं. वैसे कार्यकर्ताओं ने कहा कि भागलपुर की राजनीति में भी डॉक्टर दुबे जैसे संघर्षशील नेताओं का होना जरूरी है.