Category Archives: हिंदी रचना

आज आखरी दिन :ढाई आखर प्रतियोगिता में शामिल होकर पाए एक आकर्षक उपहार

Barun Kumar Babul0

आगामी नव वर्ष 2021 पर अंग प्रदेश का गौरव जीएस न्यूज़ द्वारा लेखनी ढाई अखर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है जो दिनांक 21 दिसंबर 2020 सोमवार से आज 30 दिसंबर 2020 बुधवार तक आप दिए गए विषय में से किसी एक पर लिख कर भेज कर एक शानदार उपहार प्राप्त कर सकते हैं । GS NEWS प्रस्तुत करता हैं । ढाई आखर Dhai Akhar लिखिये भेजिये और पाइये शानदार उपहार प्रतियोगिता 21 दिसंबर सोमवार से 30 दिसंबर 2020 बुधवार के मध्य रात्रि तक । विषय : — Q 1 : स्थानीय समाचार चैनल की विश्वसनीयता और उपयोगिता . Q 2 : स्थानीय समाचार चैनल से अपेक्षायें और देखने की जिज्ञासा . Q 3 : स्थानीय समाचार चैनल की बेहतरी […]

“शराब की बोतल हूँ मैं” पढिये प्रभाकर सिंह की कविता

Barun Kumar Babul0

शराब की बोतल हूँ मैं😎😎😎😎😎😎शराब की बोतल हूँ मैंपडोसी घर नचायी जाती।छुप-छुपाके बिहार आईओर यहाँ छिपायी जाती।चीज बडी मान की हूँ मैंशराब की बोतल हूँ मैं। हूँ आस बेरोजगारों काकमरबंद करके लाते हैं।चेकिंग देख रास्ते में वोझांसे से निकले जाते हैं।राहत पा चुमि जाती हूँ मैंशराब की बोतल हूँ मैं। लिगल समानों बीच छुपाकेट्रको में ढोयी जाती हूँ।कस्टम के अत्याचारों सेकिस्मत पे रोयी जाती हूँ।सर्वत्र भाग्यहीन न हूँ मैंशराब की बोतल हूँ मैं। मुझे रखे गड्डे में वो तोसिस्टम से ग्राहक लाते हैं।पौआ,हाफ,फूल कह-कहकेहम अजब पुकारे जाते हैं।बेहद उँची दाम की हूँ मैंशराब की बोतल हूँ मैं। पी-पी के मेरी फजिहत करपरस्पर सब लड जाते हैं।गैर-कानूनी खेल खेलकरथाने सीखाने जाते हैं।वहाँ बुलायी जाती हूँ मैंशराब की बोतल हूँँ मैं। थानेदार […]

“दहेज उन्मूलन फेल” पढिये प्रभाकर सिंह की कविता

Barun Kumar Babul0

दहेज उन्मूलन फेल‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️‍♀️दहेज उन्मूलन का दावामानव शृंखला तक रह गया।तब प्रण सबने लिया कदाचितपरन्तु मैं नहीं!सब कह गया।      बेटी के पापा जिनको हाँ      दहेज ना देने की है आस।       बेटा बाप मन्नत माँगते       दहेज और मिल जाये काश। पाँच लाख के साथ निश्चितमोटर कार भी लाइयेगा।मन मुताबिक नहीं रहा!तभीबैरंग वापस जाइयेगा।       क्योंकि पिछले साल ही मैने       भारी-भरकम दहेज दिया हैं।        पाई-पाई भुगताने में          हाँ!मेरी जान तक लिया है। दहेज़ उन्मूलन खातिर हाँप्रतिशोधो को तजना होगा।इस दहेज अभिष्पत नदी कीधारा रुख मोडना होगा। धन्यवाद।प्रभाकर सिंहकदवा, नवगछिया, भागलपुर। Barun Kumar Babul

फेसबुकिया प्यार : पढिये प्रभाकर सिंह की कविता

Barun Kumar Babul0

फेसबुकिया प्यार🙅‍♀️🙅‍♀️🙅‍♀️🙅‍♀️🙅‍♀️🙅‍♀️खुद करनी से अब दूर हुईबद जीने को मजबूर हुई।फेसबुकी पे दो-चार कियामात-पिता को बीमार किया। परिणाम भयानक न जानी थीसूहागिन खुद को मानी थी।हाँ!था सूरज जो ढलने कोमेरा मन ठानि निकलने को। व्याकुल मन अजब व्यवहार कियाचुपके-चुपके से श्रृंगार किया।निशा प्रचण्ड स्तब्ध रूप हुईनिकल के चौखट से दूर हुई। जाते, भूखण्ड निहारी थीउलझन!किसको स्वीकारी थी।तब पग हिल-हिलके चलता थामध रात्रि तम भी मचलता था।चल-चलके थक चूर हुईप्यार जताने,मजबूर हुई। रहता यहीं हाँ छबीला हैयही घर मेरा कबीला है।आग लागी खबर फैली थीभीड में अकेली मैली थी।पूछे!किसको स्वीकार हुईइसमें किससे रे प्यार हुई। था फेक इन्टरोड्यूस कियाफेसबुकी प्यार मनहुस किया।करनी पे खुब पछतायी थीभीडो में जो मुरझायी थी।धन्यवाद। कवि रचनाकार प्रभाकर सिंहकदवा, नवगछिया, भागलपुर। Barun Kumar Babul

मनीषा बेटी हूँ मैं , पढिये कवि प्रभाकर सिंह की कविता

Barun Kumar Babul0

मनीषा बेटी हूँ मैं।😭😭😭😭😭बेटी जन्मे से आई हूँलोक-लाज को पायी हूँ।व्याथा किसे सुनाऊँ अपनादर्दे समाजो से पायी हूँ।नाजुक थी तब बडे प्यार सेमासूमियत जो बतायी थी।गर्व था अपने जीवन परनारी सर्वोपरि सिखायी थी।मनीषा हूँ मुझे देखो अबदरिन्दों ने खूब नोंचा है।हाँ!परिजन बिन बता जलाकरआँसुऔं तक नहीं पोछा है।शिद्दत से न्याय माँगने जबन्यायपालिका को जाते हैं।दरिन्दों का हि पक्ष मजबूतवहाँ खुद कमजोर पाते हैं।हाँ!अब तो ऐ हदें हुई जोजनाजे पुलिस के कन्धों परपेट्रोल छिडक-छिडक जला दियेश्मशान तक हुआ अन्धो पर।उदासीन हो मेरी चिता पेमुआवजे पाला मत खेलोतनिक शर्म अगर बची हैपैरेवी उसका मत झेलो।घन्यवाद।प्रभाकर सिंहकदवा,नवगछिया, भागलपुर। Barun Kumar Babul