भागलपुर : चांद पर कदम रखने वाले भारत में अभी भी कई ऐसे गांव हैं जहां तक पहुंचाने के लिए न तो कोई सड़क है और ना ही पक्की पुलिया, आधुनिक युग में हजारों की आबादी बांस से बने चचरी पुल से आवागमन करने को मजबूर है, केवल इतना ही नहीं हर साल ग्रामीणों के द्वारा ही चंदा इकट्ठा कर इस पुल का निर्माण भी किया जाता है, नदी के उस पर बसे गांव में कोई शादी करना नहीं चाहता है क्योंकि बारात को जाने में बहुत परेशानी होती है जिस वजह से शादी टूट जाती है, यह स्थिति बीते कई दशकों से बनी हुई है।
भागलपुर जिले से सटे नाथनगर प्रखंड के शंकरपुर दियारा के लोग कई वर्षों से सरकारी मदद की आस में थे, पुल बनवाने के लिए सरकार से गुहार लगाकर थक गए लेकिन जब जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तब उनलोगों ने खुद से ही चचरी पुल बनाने का बेड़ा उठा लिया.
और बीते दो दशकों से ग्रामीणों द्वारा चंदा इकट्ठा कर हर वर्ष बांस का पुल जमुनियां नदी पर बनाया जाता है, जिसके सहारे रोजाना स्कूली बच्चे, महिलाएं, मजदूर और कामगार आवागमन करते हैं। लेकिन हर वर्ष सावन भादो के समय बाढ़ का पानी आने से चचरी पुल ध्वस्त हो जाता है और पानी के चले जाने के बाद दोबारा से इसका निर्माण करवाया जाता है। पिछले 15 दिनों से शंकर पूर्ण पंचायत के लोग चचरी पुल के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं और बीते दिनों इस पुल का उद्घाटन किया गया।जमुनिया नदी के उसपार शंकरपुर, रत्तीपुर बैरिया, दिलदारपुर, बिंद टोली समेत 16 गांव हैं जहाँ हज़ारों की आबादी है इस इलाके में अगर किसी को गंभीर बीमारी हो जाए तो यहां ना तो डॉक्टर पहुंच सकते हैं और ना ही एंबुलेंस मरीज को खाट से लेकर जाना पड़ता है और समय पर नहीं पहुंचने पर मरीज की जान भी चली जाती है।