

नवगछिया:- आस्था के कई रंगों से सजा छठ पर्व की छठा हर ओर बिखरी हुई है. नहाय-खाय और खरना के बाद अब तीसरे दिन शाम के अर्घ्य अर्पण हुआ इस पावन अवसर पर श्री सद्गुरु साईंनाथ सेवा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्री शुभम कुमार ने साईंनगर सहौरा के परिजनों सहित स्थानीय सहौरा -मदरौनी कोशी नदी में छठ महापर्व का माहौल भक्तिभाव रहा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया .
डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्ध्य:-
श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार , झारखंड और यूपी के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्था से मनाये जाने की परंपरा है.
ये है मान्यता:-
ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.
