

नवगछिया में कोचिंग संचालक कानून के पालन पर उठे सवाल
नवगछिया में कोचिंग संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बिना किसी मानक और योग्यता के, हर गली-चौराहे पर नए कोचिंग सेंटर खुल रहे हैं। स्थिति यह है कि अनुमंडल अस्पताल रोड कोचिंग संस्थानों का हब बन गया है, जहां सरकारी और निजी दोनों प्रकार के शिक्षक अपना कोचिंग संचालन कर रहे हैं, लेकिन किसी का भी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। ना ही कोई कोचिंग संस्थान का मानक पूरा कर रहा हैं ।

बिना योग्यता के शिक्षण कार्य
इनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं जो स्वयं मैट्रिक या इंटर फेल हैं, लेकिन छात्रों को उच्च कक्षाओं की पढ़ाई करा रहे हैं। ऐसे में छात्रों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। कई संस्थानों में फीस भी मनमाने तरीके से ली जा रही है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का घोर अभाव है।

शिक्षक बनने की पात्रता और प्रशिक्षण आवश्यक
शिक्षक बनने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और आवश्यक प्रशिक्षण होना अनिवार्य है। शिक्षकों को न केवल अपने विषय की संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए, बल्कि शिक्षण कला में भी दक्षता होनी आवश्यक है। योग्य शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही, जिससे उनकी शैक्षिक प्रगति बाधित हो रही है।
नगर परिषद के नियमानुसार कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन आवश्यक है, लेकिन अब तक किसी भी कोचिंग सेंटर ने अपनी योग्यता के आधार पर पंजीकरण नहीं कराया है। कोचिंग संस्थानों के संचालन के लिए सरकार द्वारा कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं, लेकिन नवगछिया में इनका खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

शिक्षकों के बीच सेटिंग का खेल
नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि यहां सेटिंग के आधार पर छात्रों को कोचिंग भेजा जाता है। एक शिक्षक दूसरे शिक्षक के पास छात्रों को भेजता है, ताकि दोनों को लाभ हो सके। इस तरह छात्रों से अनावश्यक शुल्क वसूला जा रहा है, लेकिन उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है।
शिक्षा विभाग की चुप्पी
जब इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक नवगछिया में शिक्षा के नाम पर इस तरह की ठगी चलती रहेगी और कब प्रशासन इस पर कड़ा रुख अपनाएगा?

