दो दिवसीय दंगल प्रतियोगिता का हुआ आयोजन, जमकर उड़ाई गई कोविड -19 गाइडलाइंस की धज्जियां
रिपोर्ट:-निभाष मोदी,भागलपूर।
भागलपूर बिहार समेत देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण हाहाकार मचा हुआ है| वहीं इससे बचाव के लिए संतरी से लेकर मंत्री और आम लोगों से लेकर खास लोग एवं जिला प्रशासन और सरकार सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं| बकायदा बिहार में नाइट कर्फ्यू के साथ ही स्कूल कॉलेजों में छात्रों के आने और धार्मिक स्थानों में श्रृद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है| नए गाइडलाइंस के अनुसार शादी – विवाह और अंतिम संस्कार में भी 50 लोगों को सम्मिलित होने की इजाजत है| जबकि खेल कूद एवं धार्मिक आयोजनों में 50 या इससे कम लोग ही शिरकत कर सकते हैं| नए गाइडलाइंस का एक ही मूल उद्देश्य है कि इन सारे हथकंडों को अपनाकर संक्रमण के फैलाव को आसानी से रोका जा सके और महामारी को काबू कर लिया जाय| बावजूद इसके कुछ लोग बिना लोगों के जान की परवाह किए गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ा रहे हैं| इसी कड़ी में भागलपुर में नाथनगर प्रखंड के गोसाईंदासपुर में मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित दो दिवसीय अंतर राज्यस्तरीय दंगल प्रतियोगिता में कोविड – 19 गाइडलाइंस का उल्लंघन करने का मामला सामने आया है| बताया जा रहा है कि गोसाईंदासपुर के मधु बाबा स्थान में मकर संक्रांति के मौके पर दो दिवसीय अंतर राज्यस्तरीय दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था| वहीं इस प्रतियोगिता का विधिवत उद्घाटन नाथनगर प्रखंड के प्रमुख दुर्गा दयाल और राजद अध्यक्ष पप्पू यादव पूर्व पंचायत समिति सदस्य तारकेश्वर झा ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया था। यहां तक तो ठीक था लेकिन इस दौरान अधिकतर लोगों के चेहरे से मास्क गायब था| हालांकि प्रमुख दुर्गा दयाल समेत कुछ लोगों ने मास्क जरूर पहना था लेकिन कुछ समय के बाद माइक संभालते ही प्रमुख साहब ने भी मास्क को अलविदा कह दिया| लोग संक्रमण से आंख मिचौली करते हुए दिखे, इस दौरान कहीं भी सैनिटाइजर का दर्शन नहीं हुआ और न ही दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों की भारी भीड़ के बीच किसी प्रकार की कोई सामाजिक दूरी देखी गई|
वहीं आश्चर्यजनक बात ये भी है कि हैरान करने वाले इस दृश्य से स्थानीय थाना और जिला प्रशासन अनजान बने बैठे रहे| जबकि पिछले 4 जनवरी को जारी गाइडलाइंस में इस प्रकार के आयोजन के पूर्व जिला प्रशासन की अनुमति को अनिवार्य बताया गया है| बावजूद इसके इतनी बड़ी लापरवाही और वो भी इस भयावह संक्रमण को चुनौती देने की बेवकूफी कहां तक उचित है ये तो फिलहाल समझ से परे है| इस मामले में दलील दी जा रही है कि गांव में दंगल का आयोजन पिछले करीब 40 वर्षों से अधिक समय से हो रहा है और यह परंपरा भी रही है तो ठीक है लेकिन क्या इस परंपरा का निर्वहन, गाइडलाइंस का पालन करते हुए नहीं किया जा सकता है| आखिरकार संक्रमण को आमंत्रण देकर कैसी खुशी और कैसा उत्साह| ईश्वर न करे अगर इस भीड़ में कोई संक्रमित निकला तो क्या संक्रमण के इस चेन को तोड़ पाना मुमकिन होगा? न जाने कितने परिवार की खुशियां संक्रमण को शिकस्त देने की जद्दोजहद करती दिखेगी| यहां सवाल उठता है कि भला इस आयोजन को स्थानीय थाना या स्थानीय प्रशासन द्वारा रोकने कि हिम्मत क्यों नहीं जुटाई गई| वैसे तो सड़कों पर आने जाने वाले हर आम और खास लोगों से मास्क नहीं रहने पर जुर्माना वसूला जाता है| एसएसपी बाबूराम खुद रोजाना मास्क जांच, वाहन जांच समेत अन्य गतिविधियां पर बारीकी से नजर बनाए रखते हैं लेकिन इतनी बड़ी लापरवाही की उनको भी भनक तक नहीं लगी| कौन इसका जिम्मेवार है और इस लापरवाही के लिए क्या दोषियों पर कुछ कार्रवाई होगी|