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व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय के अदालत में चल रहा था मामला

भागलपुर नवगछिया व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय अखौड़ी अभिषेक सहाय की अदालत ने बिहपुर थाना क्षेत्र के झंडापुर ओपी के झंडापुर गांव में हुए दहेज हत्या के मामले में चार अभियुक्तों को दस वर्ष की सजा दी है.
सजा पाने वाले अभियुक्तों में मृतिका के पति झंडापुर निवासी सतीश कुमार ठाकुर, देवर राहुल कुमार, ससुर सकलदेव ठाकुर और इस्माइलपुर के मंधत टोला निवासी जीजा अनिल ठाकुर है. सबों को भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 304 बी, 120 बी में दस वर्ष सश्रम कारावास और धारा 201 में तीन वर्ष की सजा दी गयी है. सभी अभियुक्तों को पांच-पांच हजार अर्थदंड की सजा दी गयी है.

अर्थदंड नहीं देने पर तीन माह अतिरिक्त कारावास की सजा भोगना होगा. सभी सजा साथ-साथ चलने की बात न्यायाधीश ने अपने फैसले में कही है. मालूम हो कि पांच मार्च, वर्ष 2019 को मधुसूदनपुर थाना क्षेत्र के वादरपुर गनौर गांव के निवासी उमेश ठाकुर की पुत्री कुसुम कुमार उर्फ डोली की हत्या गला दबा कर उसके ससुरालवालों ने कर दी थी. कुसुम उर्फ डोली और सतीश कुमार के बीच लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली थी. शादी के बाद सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था. कुछ दिन बाद ही ससुरालवालों द्वारा दो लाख रुपये, एक मोटरसाइकिल और सोने के जेवरात दहेज के रूप में मंगा जाने लगा. कुसुम के माता पिता मुंबई में मजदूरी करते हैं. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इस कारण उनलोगों ने कुसुम के ससुरालवालों को दहेज देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद कुसुम उर्फ डोली को उसके ससुराल में तरह तरह से प्रताड़ित किया जाने लगा.

कुसुम अपनी मां से सब कुछ मोबाइल फोन पर बताती थी. पांच मार्च 2019 को शिवरात्रि थी, लेकिन कुसुम ने अपने माता पिता को एक बार भी फोन नहीं किया. कुसुम के सभी ससुरालवालों का मोबाइल स्वीच ऑफ आ रहा था जिसके बाद कुसुम के पिता उमेश ठाकुर ने झंडापुर में रहने वाले अपने भांजे मुकेश कुमार ठाकुर को फोन किया और उसे कुसुम की खैरियत लेने को कहा. अपने मामा के कहने पर मुकेश कुसुम के घर पर गए. जहां कोई नहीं था और कमरे में ताला लगा था. मुकेश ने मामले की सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर कमरे का दरवाजा खोला तो एक बोरे में बंद कुसुम की लाश मिली. उसकी हत्या गला दबा कर की गयी थी. मुकेश के बयान के आधार पर मामले की प्राथमिकी दर्ज की गयी और अनुसंधान शुरू किया गया. मामले में शेषण ट्रायल चलाया गया जिसके बाद चारो आरोपी दोषी पाए गए. मामले में अभियोजन संचालन अपर लोक अभियोजक अरुण कुमार साह उर्फ अरुण कसेरा ने किया.

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