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गणपति बप्पा मोरय्या… राजधानी सहित पूरे प्रदेश में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी शनिवार से गणेश उत्सव शुरू होगा। वहीं मिथिलांचलवासी चौठचंदा (चउरचन) मनायेंगे। पूरे विधि विधान के साथ सनातन धर्मावलंबी गणेश जी और चंद्रमा की पूजा करेंगे। गणेश जी को दूर्वा, लाल फूल, लाल वस्त्र, लड्डू,मोदक का भोग लगेगा।



दिन में गणेश पूजनोत्सव तथा शाम को चौठ चंद्र मनाया जाएगा। निरोगता और मानसिक क्लेष से मुक्ति के लिये चंद्रमा की पूजा की जायेगी। इधर शुक्रवार को गणेशपूजन व चौठचंदा को लेकर बाजार में फल-फूल, पूजन सामग्री की खरीदारी होती रही। गणेश जी की पूजा के लिये मूर्तियों की खूब खरीदारी की गयी। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते शहर के तमाम मंदिरों में ताला लटके हुए हैं जिससे घरों में ही श्रद्धालु गणेश जी की पूजा अर्चना करेंगे। बता दें महाराष्ट्र मंडल पटना की ओर से विगत कई वर्षों से पटना में गणेश उत्सव का धूमधाम से आयोजन होता रहा है पर इस बार यह आयोजन भी डिजिटल प्लेटफार्म पर ही मनाने की तैयारी है।



राज्य प्रद योग व सिद्धि योग में होगी पूजा
ज्योतिषाचार्य विप्रेंद्र झा माधव के मुताबिक इस बार गणेश पूजा तथा चौठचंद्र की पूजा राज्य प्रद योग तथा सिद्धि योग में होगी। इस बार चौठ चंद्र हस्त नक्षत्र में पड़ रहा है जिसके स्वामी स्वयं चंद्रमा होते हैं। इस बार चौठ चंद्र का बहुत अच्छा संयोग है। गणेशजी को दूर्वा, लाल फूल, लाल वस्त्र, लड्डू आदि भोग लगाने से रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होगी। सब प्रकार का विघ्न समाप्त होगा। गणेश पूजन तीन दिन, पांच, सात और 11 दिन होता है। 11 दिवसीय पूजन का विसर्जन पहली सितंबर को होगा।





चंद्रमा मन के कारक होते हैं
वहीं ज्योतिषाचार्य पं. राजनाथ झा के मुताबिक शनिवार को शाम में सूर्यास्त के बाद चंद्रमा का पूजन होगा। चंद्रमा मन के कारक होते हैं। मानसिक तनाव, मनोरोग से मुक्ति के लिये श्रद्धालु चांदी का चंद्रमा बनाकर उन्हें यज्ञोपवित (जनेऊ) अर्पण करके विधिवत पूजा करेंगे। उन्हें ठेकुआ, अनरसा, केला व दही आदि अर्पण करके सालभर निरोगता व मानसिक क्लेष से मुक्ति के लिये चतुर्थी चंद्रमा से प्रार्थना करेंगे।


चौठचंद्र पर फल-दही लेकर करेंगे चंद्रमा का दर्शन
पं. माधव के मुताबिक शनिवार को शाम को गाय दूध, दही, सफेद फूल, फल पकवान आदि लेकर महिलाएं चंद्रमा की पूजा करेंगी। चौठचंद्र के बारे में कहा गया है कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के चन्द्र का दर्शन करने से मिथ्या कलंक का दोष लगता है। इस कारण भगवान कृष्ण को स्यमंतक मणि चुराने का दोष लगा था। इसलिये हाथ में फल- दही आदि लेकर चंद्रमा को प्रणाम करना चाहिए। खाली हाथ चन्द्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।

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