एक ऐसा प्राचीन मंदिर जहां साक्षात विराजमान है भोलेनाथ, यहां खुद प्रकट हुए हैं शिवजी
यहां लगता है पूरे विश्व का सबसे लंबा मेला
भागलपुर।यूं तो बिहार में कई शिवमंदिर है लेकिन मैं आज ऐसे शिव मंदिर के बारे में बात कर रहा हूं जहां पूरे देश का एकमात्र ऐसा शिवलिंग विराजमान है जिसे दो नामों से पुकारा जाता है वह बिहार के भागलपुर सुल्तानगंज में स्थित है एक ही शिवलिंग का नाम है अजगैविनाथ और बैद्यनाथ साथ ही यह एक ऐसा अतिप्राचीन मंदिर है जहां साक्षात भोलेनाथ विराजमान रहते हैं , ऐसी मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर में शिवजी खुद प्रकट हुए हैं।
अजगैवीनाथ धाम मंदिर कहां है अवस्थित
बिहार में कई पर्यटन स्थल है जो श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र बने हुए हैं उसमें से एक बाबा अजगैबीनाथ मंदिर भी अपना एक अलग स्थान रखता है, यह मंदिर बिहार के बड़े पर्यटक स्थल के तौर पर भी जाना जाता है ,अंग क्षेत्र के रेशमी शहर भागलपुर से महज 25 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा के बीचोबीच विशाल चट्टान पर ग्रेनाइट पत्थर की अजगैबीनाथ महादेव का मंदिर अवस्थित है, अजगैविनाथ धाम अंगजनपद का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है ,
यहाँ बहने वाली पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण पवित्र महीना सावन में लाखों की संख्या में यहां देश के विभिन्न भागों से कांवरिया अविरल गंगा से जल भरते हैं और बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर जल अर्पण करने जाते हैं, सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि अपने भारतवर्ष में पूरे विश्व का सबसे लंबा मेला भागलपुर सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ नगरी में लगता है,यह पावन नगरी मोक्ष और मुक्ति का पवित्र संगम स्थल भी कहा जाता है।
अजगैबीनाथ मंदिर की हैं कई विशेषताएं
अजगैबीनाथ मंदिर की अनेकों विशेषताएं हैं , इस मंदिर की दिव्यता अति अलौकिक है, पूरा मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है, ऐसी मान्यता है कि यहां पर तीन शिवलिंग विराजमान हैं जिसमें मीना बाबा ,बैद्यनाथ धाम और बाबा बासुकीनाथ धाम का शिवलिंग विराजमान है इस मंदिर में श्रद्धालु तीनों महादेव की पूजा एक साथ करते हैं , यह मंदिर गंगा नदी के बीचो बीच अवस्थित है, पहले इस मंदिर के चारों ओर अविरल गंगा बहती थी, अभी भी जब गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो यह मंदिर चारों ओर पानी से घिर जाता है ,पहले लोग इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन एवं पूजा अर्चना करने नाव से जाया करते थे लेकिन अब पुल बन जाने से श्रद्धालुओं को काफी फायदा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि प्रसिद्ध अजगैविनाथ मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही शिव भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
क्या है इतिहास?
जूना अखाड़ा के संरक्षक व अजगैविनाथ मंदिर के महंत प्रेमानंद गिरी से हमारे संवाददाता निभाष मोदी ने वार्ता की तो उन्होंने अजगैविनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में काफी कुछ बताया, उन्होंने कहा- यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है, प्राचीन ग्रंथों में त्रेता युग में भी इस मंदिर का प्रमाण मिलता है साथ ही उन्होंने बताया कि यहां के महंत बाबा बैद्यनाथ के अभिषेक के लिए प्रत्येक दिन गंगाजल लेकर जाया करते थे इसी क्रम में एक दिन भगवान भोलेनाथ ने दर्शन देते हुए कहा कि अब प्रत्येक दिन यहां आने की कोई आवश्यकता नहीं, उसके बाद से ही यहां के महंत बैद्यनाथ धाम मंदिर में प्रवेश नहीं करते साथ ही उन्होंने एक और बातें बताई । उन्होंने कहा जब शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह होता है तो 4 जगहों से गंगाजल भेजा जाता है उसमें एक राज्य अपना बिहार का भागलपुर भी है ,यहां का गंगाजल शिवरात्रि के वक्त बाबा के तिलकोत्सव में देवघर भेजा जाता है उसके बाद विवाह संपन्न होती है ।
यहाँ जलाभिषेक करने से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी
यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आते हैं और गंगाजल अर्पण करते हैं उन्हें मनोवांछित फल भी मिलता है। श्रद्धालुओं का कहना है कि हम लोग शुद्ध मन से उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान करते हैं और बाबा अजगैबीनाथ को जल अर्पण करते हैं और अपने मन की बातों को उनसे कहते हैं वह जल्द ही पूरा होता है, खासकर यहां सावन महीने में और शिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और झोली भर कर जाते हैं।