ऋषव मिश्रा “कृष्णा” मुख्य संपादक
नवगछिया – विगत दिनों सोशल मीडिया पर भाजपा कार्यकर्ताओं का फेसबुक व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट काफी वायरल था, जिसमें इंजीनियर शैलेंद्र की तस्वीर के साथ लिखा था शैलेन्द्र है तो मुमकिन है. एक और पोस्ट वायरल था जिसमें एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर थी तो दूसरी तरफ इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र की तस्वीर थी और तस्वीर पर लिखा था, देश में नरेंद्र और बिहपुर में शैलेन्द्र. वास्तव में, बिहपुर विधानसभा और भाजपा की राजनीति पर बात करें तो इंजीनियर शैलेंद्र का जिक्र सबसे पहले करना होगा. इंजीनियर शैलेंद्र ने पहली बार बिहपुर विधानसभा में भाजपा को जीत का चस्का लगाया. वर्ष 1990 से पहले बिहपुर विधानसभा की सीट कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के इर्द गिर्द ही रहा है.
पहली विधानसभा वर्ष 1951 से लेकर 1990 तक के काल खंड में महज दो वर्षों के लिये भारतीय जनसंघ से ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव विधायक बने. वर्ष 1990 में मंडल कमीशन के बाद से बदली राजनीति में वर्ष 2000 तक ब्रह्म देव मंडल विधायक रहे तो इसके बाद लगातार वर्ष 2010 तक शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल विधायक रहे. 43 वर्ष के बाद वर्ष 2010 में पहली बार बिहपुर से भाजपा का कमल खिलाने का श्रेय इंजीनियर शैलेंद्र को ही जाता है. बिहार की सियासत का असर कहें या फिर इंजीनियर शैलेंद्र का करिश्मा, वे जब से चुनावी मैदान में आए तब से भाजपा अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर देने लगी. इंजीनियर शैलेंद्र अपनी राजनीति में टेक्नोलॉजी को अधिक स्थान देते हैं. सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल करते हैं. हार के बाद भी इलाके में रोज भ्रमण करने जाना, उन्हें जमीन से जोड़ता है.
भावना में बह जाना और भावुक हो जाना भी उनकी पुरानी आदत है. कभी कभार सत्ता में रहते हुए भी जनता के मूलभूत और वाजिब सवालों को लेकर आंदोलन छेड़ देना उनकी आदत रही है. यही कारण है कि युवा वर्ग का जुड़ाव उनकी राजनीति के शुरुआत से ही उनके साथ का रहा. भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह कुशवाहा ने कहा कि शैलेंद्र जी की राजनीति जमीनी रही है इसी कारण भाजपा कार्यकर्ता उन्हें पसंद करते हैं. बिहपुर के मंडल अध्यक्ष प्रभु नारायण चौधरी, खरीक के मंडल अध्यक्ष आलोक शर्मा, भाजपा नेता डॉ शंभु ठाकुर ने कहा कि उन लोगों को उम्मीद है कि श्री शैलेंद्र को इस बार एनडीए की सरकार में मंत्री बनाया जाएगा.
वर्ष 2004 से की थी राजनीति की शुरूआत
यह वर्ष 2004 में इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. उन्होंने बिहपुर में एक संगठन बनाया जिसे नाम दिया गया बिहपुर विकास पार्टी. इस संगठन में सभी दलों के लोगों को तवज्जो दिया गया. वर्ष 2005 के पहले विधानसभा चुनाव में इंजीनियर शैलेंद्र ने चुनाव लड़ने का मन बनाया. चर्चा शुरू हो गई थी कि श्री शैलेंद्र को लोजपा से टिकट मिलने वाला है. उस समय चुनाव की घोषणा होने के पूर्व ही लोजपा के सुप्रीमो रामविलास पासवान का बिहपुर में एक अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह का नेतृत्व इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र कर रहे थे. इस सभा के बाद यह तय था कि इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र वर्ष 2005 के पहले चुनाव में लोजपा के टिकट से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन लोजपा से इंजीनियर शैलेंद्र को टिकट नहीं मिला. कुछ लोगों ने उन्हें उस वक्त निर्दल चुनावी मैदान में उतरने की भी सलाह दी थी लेकिन वे नहीं माने.
वर्ष 2005 के पहले चुनाव के कुछ माह बाद ही विधानसभा भंग हो गया और नवंबर माह में फिर से चुनाव की घोषणा हो गई. वर्ष 2005 के दूसरे चुनाव में इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र भाजपा से टिकट लेने में सफल रहे और चुनाव में उन्होंने राजद प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी और 442 मतों के अंतर से जीत से चूक गए. श्री शैलेंद्र यह चुनाव हार तो गए थे लेकिन पहली बार कार्यकर्ताओं को लगा कि बिहपुर से भाजपा जीत सकती है. लिहाज वर्ष 2010 में लगभग उतने ही मतों से चुनाव जीते जितने मतों से वर्ष 2005 में हारे थे. वर्ष 2015 के चुनाव में वे एक बार फिर चुनाव हारे तो भी जनता के बीच लगातार बने रहे.