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मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. इस कथन को सही साबित करने में जुटे हैं झारखण्ड साहबगंज के रिटायर्ड आर्मी जवान पौलुस मुर्मू. तस्वीरों में दिख रहे इस व्यक्ति का नाम पौलुस मुर्मू है और ये तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय अंतर्गत टीएनबी लॉ कॉलेज के 5th सेमेस्टर के छात्र हैं.

कारगिल युद्ध के दौरान हिमस्खलन में 15 दिन तक बर्फ में दबे रहने से पौलुस ने अपने हाथ पैर खो दिए. जिसके बाद इन्हें फौज की नौकरी से निकाल दिया गया लेकिन हाथ पैर खोने वाले पौरूष मुर्मू ने अपना हौसला नहीं खोया है. 50 साल की उम्र में पौलुस वकालत की पढ़ाई कर रहे हैं. पौलुस की अब वकील बनकर लोगों को इंसाफ दिलाने की जिज्ञासा है. देश की सेवा करते हुए अपने हाथ पैर गवाने के बाद BA की पढ़ाई पूरी की. फिर M.A और.

B.ED भी सफलतापूर्वक पूरा किया और अब वकील बनने का सपना है. पौलुस झारखंड के साहिबगंज से परीक्षा केंद्र तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय आते हैं. हाथ और पैरों से दिव्यांग होते हुए भी पौलुस मुर्मू सुंदर अक्षरों में प्रश्नों के जवाब को उत्तरपुस्तिका में लिखते हुए नज़र आए. पौलुस ने बताया कि साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बर्फ के पहाड़ पर पेट्रोलिंग करने के दौरान हिमस्खलन होने पर 15 जवान दब गए थे उसी दौरान मेरे दोनो हाथ और पैर कट गए जिसके बाद नौकरी से निकाल दिया गया.

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