नवगछिया- देवदीपावली के महत्व को बताते हुए विश्वास झा ने कहा कि त्रिपुर नाम के दैत्य से सभी देवी देवता परेशान थे. दैत्य त्रिपुर के उत्पीड़न से परेशान देवताओं ने इससे मुक्ति के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना की. जिसके बाद भगवान शिव ने देवताओं के प्रार्थना पर त्रिपुर का वध किया वह दिन कार्तिक पूर्णिमा का था. राक्षस के वध के बाद देवताओं द्वारा खुशी में स्वर्गलोक में घी के दीये जलाकर दीपावली मनाई गई थी.
बस तब से ये परम्परा चली आ रही है. लोग मंदिरों व गंगा किनारे दीपोत्सव मनाते हैं. रंगरा प्रखंड स्थित दक्षिणेश्वरी मां काली मंदिर भवानीपुर में सोमवार को 11000 मिट्टी के दिए जलाकर देव दीपावली मनाई जाएगी. दीप प्रज्वलन से पहले वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा मां काली का पूजा पाठ कर नवेध्य चढ़ाते हुए दीप प्रज्वलित किया जाएगा. मंदिर के मुख्य पुजारी प्रोफेसर प्रभात झा के सानिध्य में शंखनाद व भगवान शिव मंत्रों का उदघोष से वातावरण भक्तिमय बनेगा.
वहीं भक्ति भजन मंडली द्वारा भजन कीर्तन किया जाएगा. दीपोत्सव का शुभारंभ मंदिर के व्यवस्थापक प्रशांत कुमार उर्फ पिंटू यादव, अध्यक्ष राम पोद्दार, प्रोफेसर डॉक्टर राधाकांत झा, कैलाश यादव, सुबाली यादव, बहादुर यादव, गुड्डू झा, रिंटू झा, कैलाश पोद्दार, त्रिपुरारी कुमार भारती, हरि किशोर झा, विश्वास झा, मंदिर के पुजारी अमित झा, हिमांशु शेखर झा के अलावे हजारों सहयोगियों के द्वारा कार्यक्रम संपन्न होगा.