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धागे की कीमत बढ़ने से भागलपुर के बुनकरों ने करीब 50 करोड़ रुपये का ऑर्डर छोड़ दिया है। महानगरों के व्यापारी पुरानी कीमत माल मांग रहे हैं लेकिन बुनकरों का कहना है कि उस कीमत पर माल देना संभव नहीं है। इस कारण पिछले एक माह के दौरान करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक के नये ऑर्डर के प्रस्ताव को बुनकरों ने ठुकरा दिया है। ऑर्डर नहीं लेने का असर यहां के बुनकरों के रोजगार पर पड़ा है।

लग्न का समय आने के कारण दिल्ली, कोलकाता, गुजरात, मुंबई, बेंगलुरू आदि शहरों से सिल्क की साड़ी, कॉटन दुपट्टा, भागलपुरी चादर, शर्ट-पैंट के कपड़ों आदि का मांग थी। सिल्क कारोबारी नंदकिशोर गोयनका ने बताया कि हाल के दिनों में कॉटन व सिल्क के धागे की कीमत में तेजी आ गयी है। इसके कारण कपडा तैयार करने में औसतन 20 से 30 प्रतिशत अधिक रुपये खर्च हो रहे हैं।

पांच साल में दोगुनी हुई धागे की कीमत

बिहार बुनकर कल्याण समिति के सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि एक माह पहले जहां कॉटन धागे की कीमत तीन सौ रुपये किलोग्राम था जो बढ़कर अब 450 रुपये किलो हो गई है। वहीं, सिल्क धागे की कीमत पांच हजार रुपये से बढ़कर छह हजार रुपये प्रति किलो हो गयी है। उन्होंने बताया कि पांच साल के दौरान धागे की कीमत दोगुनी हो चुकी है। उस समय सिल्क के धागे 25 सौ से तीन हजार व कॉटन के धागे की कीमत 180 से दो सौ रुपये प्रति किलो थी।

अलीम अंसारी ने बताया कि धागे की कीमत बढ़ने से व्यापार प्रभावित हो रहा है। 50 करोड़ के आये ऑर्डर के प्रस्ताव को बुनकरों ने ठुकरा दिया है। जिस साड़ी की कीमत पहले दो हजार पड़ती थी, वह अब 24 सौ, चादर की कीमत 300 से बढ़कर 360 व दुपट्टे की कीमत 100 रुपये बढ़कर 124 रुपये हो गयी है। इस कारण बुनकर नये ऑर्डर नहीं ले रहे हैं, जबकि व्यापारी पुरानी कीमत पर ही ऑर्डर देना चाहते हैं।

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