


नवगछिया : दुर्गा संस्कृत उच्च विद्यालय, भ्रमरपुर (नारायणपुर) के सौ वर्ष पूर्ण होने पर गांव में आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को वृंदावन से पधारे डॉ रामकृपाल त्रिपाठी ने प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि धर्म वही है जिससे भगवान की भक्ति प्राप्त हो, मानव कल्याण हो और सुख, शांति एवं समृद्धि मिले। उन्होंने कहा कि अर्थ के उपार्जन से पहले धर्म का पालन करें और फिर जीवनभर उसका भोग करें। काम, केवल इंद्रिय सुख के लिए नहीं, बल्कि ईश्वर प्राप्ति में सहायक होना चाहिए।

डॉ त्रिपाठी ने कहा कि ज्ञान से भक्ति श्रेष्ठ है, क्योंकि ज्ञान का मार्ग फिसलन भरा होता है, जबकि भक्ति मार्ग में देरी हो सकती है, लेकिन प्रभु प्राप्ति का यह सबसे सरल रास्ता है। उन्होंने नैमिष तीर्थ में 88 हजार ऋषियों को कथा सुनाते हुए सूतजी के संवाद का उल्लेख किया।

कथा के दौरान उन्होंने मिथिला के ब्राह्मण भवनाथ मिश्र की प्रेरक कथा सुनाई, जो किसी से मांगते नहीं थे। इस रोचक प्रसंग ने हजारों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा का मंच संचालन डॉक्टर अरविंद कु झा ने किया।
इस अवसर पर प्रसिद्ध लोक गायक डॉ हिमांशु मोहन मिश्र उर्फ दीपक ने अपने भजनों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। भागवत कथा में आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
