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भगवती मंदिर ढोलबज्जा में 69 साल से माता की पूजा कलश स्थापित कर की जाती है. 1951 ईस्वी में विश्वनाथ भगत ने ग्रामीणों की मदद से मोहन भगत की जमीन पर मंदिर का निर्माण किया था. ग्रामीणों का कहना है कि जो भक्त सच्चे मन से माता की दरबार में आकर आराधना करता है उसकी मनोकामनाएं माता पूरी करती है. इस मंदिर में माता भगवती की सिर्फ कलश स्थापित कर पंडितों द्वारा वेदोच्चारण के साथ पूजा पाठ की जाती है.

यहां की माता की पूजा वैष्णवी रूप में होती हैं. कभी भी यहां बलि प्रथा नहीं चली है. नवरात्रि से ही इलाके से श्रद्धालु भक्तों माता भगवती की संध्या आरती में भाग लेते हैं. वहीं प्रतिदिन शाम में ग्रामीण मंडलियों द्वारा कीर्तन भजन का भी आयोजन होता है. हर साल नवमी व दशमी के अवसर पर वहां के कलाकारों द्वारा नाट्य कला की भी प्रस्तुति होती थी. जो इस साल नहीं होगी.

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