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भागलपुर।पीरपैंती प्रखंड के प्यालापुर पंचायत के ग्राम रूपचक में सरहुल पर्व के अवसर पर भव्य कलश यात्रा निकाली गई। इस पर्व पर प्रकृति की पूजा की जाती है। महारानी कुमारी ने बताया कि जब वृक्षों में मंजर और फूल लगते हैं, तब विशेष रूप से सखुआ फूल की पूजा की जाती है।

सब इंस्पेक्टर जयचंद्र तिग्गा ने जानकारी दी कि इस पर्व का प्रथम दिन नदी से एक घड़ा जल भरकर लाने की परंपरा है। दूसरे दिन पाहन/पंडित इस जल से यह अनुमान लगाते हैं कि आने वाले समय में वर्षा और प्रकृति की स्थिति कैसी रहेगी। यदि घड़े में पानी घटता है, तो वर्षा की स्थिति को लेकर संकेत प्राप्त होता है।

दूसरे दिन कलश शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें विभिन्न गाँवों का भ्रमण कर पुनः जल भरकर कलश को अखाड़े में विधिवत रूप से स्थापित किया जाता है। इसके बाद सांस्कृतिक नृत्य और गीत का आयोजन होता है। तीसरे दिन समापन के अवसर पर पंडित विधिवत पूजा-पाठ कर सभी ग्रामीणों को उनके कलश सौंपते हैं, जिससे वे अपने घरों में जल छिड़काव कर पवित्रता स्थापित करते हैं। साथ ही, पाहन के द्वारा सभी घरों में सखुआ वृक्ष का फूल लगाया जाता है।

सरहुल पर्व आदिवासी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है। सरना धर्म के अनुयायी पार्वती माता को प्रमुख देवी के रूप में पूजते हैं और प्रकृति को संरक्षित रखने का संकल्प लेते हैं। उनका मानना है कि जो लोग प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं, वे अक्षम्य हैं।

इस अवसर पर सब इंस्पेक्टर जयचंद्र तिग्गा, महारानी कुमारी, लालचंद्र तिग्गा, प्रफूल तिग्गा, कृष्णा देवी, भीमनाथ ओझा, वीरेंद्र कुमार ओझा उर्फ डब्लू सहित समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे।

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