बिहार के मिथिलांचल में प्रकृति से जुड़े हुए काफी सारे त्यौहार मनाए जाते हैं। जैसे कि सूर्य देव की आराधना करने के लिए छठ पर्व मनाए जाते हैं तो इसी तरह चंद्र देव की आराधना करने के लिए चौरचन का त्योहार मनाया जाता है। चौरचन के त्यौहार को चौठ चंद्र त्यौहार भी कहा जाता है। नई दिल्ली के दिलशाद गार्डन में रहने वाली नवगछिया के गोसाई निवासी ममता झा पति राजेश रमण झा नें भी पूरी नियम निष्ठा उपभोग पवित्रता से चोरचंद पूजा की मौके पर उन्होंने बताया कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्र देव की पूज करने से साधक को शारीरिक और मानसिक समस्याओं के मुक्ति मिलती है।
मिथिला पंचाग के अनुसार इस बार चौरचन का त्योहार सोमवार संध्या मनाई गई । इस दिन चंद्र देव की पूजा की जाती है। यह पर्व मिथिला में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. चौरचन के दिन यहां महिलाएं सुबह से लेकर शाम तक निर्जल उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर उपवास को खोलती है। महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं।
इस त्योहार पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे की खीर मिठाई टेकुआ और फल आदि रखे जाते हैं। इस त्यौहार में दही का काफी ज्यादा महत्व है। पूजा में दही का शामिल करना बहुत जरूरी माना जाता है।
शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लिप कर साफ किया जाता है। इसके बाद कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार की जाती है और इस रंगोली से आंगन को सजाया जाता है। इसके बाद केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बना कर पूजा की जाती है और चंद्रोदय के समय चंद्र देव को अर्ध्य देते हैं। घर के सभी सदस्य पूजा स्थल पर प्रसाद ग्रहण करते हैं। चांद के दर्शन के बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है। वही मौके पर ममता झा , राकेश रमण झा, राकेश रमण झा, किरण झा, त्रिथिका, दृशान के अलावे परिवार के सभी लोग उपस्थित थे ।