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अपने हक में न्याय की मॉग तक दाढ़ी, सिर का बाल बढ़ाकर नंगे पांव चलने का संकल्प लिया है दिवाकर

नारायणपुर – प्रखंड के जयपुर चुहर पुरब पंचायत के बलाहा निवासी दिवंगत शिक्षक दंपत्ती के पुत्र
दिवाकर सिंह पैतृक जमीन का अंचलकर्मी की मिलीभगत से शैलेंद्र सिंह एवं गीता देवी द्वारा करीब दो बीघा जमीन अपने नाम फर्जी तरीके से हथिया लेने पर चार वर्षो से जनता दरबार एवं डीसीएलआर कोर्ट में चक्कर लगाने के वावजूद जमीन का स्पष्ट और संपूर्ण न्याय नहीं मिल पाया है।मामले को लेकर पीड़ीत दिवाकर जनता दरबार से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारी से लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुका है। दिवाकर कहता है कि दौड़ धूप करने से अभी तक में जो न्याय मिला है वह स्पष्ट साफ सुथरा और संपूर्ण न्याय नहीं है।

इसी न्याय की आस में आज तक मैंने दाढ़ी और बाल नहीं कटवाया है और चप्पल नहीं पहना है। संकल्प लिया है जब तक मुझे संपूर्ण और स्पष्ट न्याय नहीं मिलेगा तब तक मैं पैर में चप्पल नहीं पहनूंगा, दाढ़ी सिर का बाल नहीं कटवाऊंगा । ऐसा ही मामला शनिवार को भवानीपुर ओपी में लगे भूमि विवाद संबंधी जनता दरबार में देखने को मिला। बलाहा के दिवाकर सिंह को जमीनी पेंच में उसके गांव के शैलेंद्र सिंह और पूर्व जनप्रतिनिधि द्वारा फर्जी तरीके से फंसा लिया जिस के जाल से अभी तक वह पूरी तरह से निकल नहीं सका जिसका खामियाजा उसे कचहरी से लेकर अधिकारियों के कार्यालय तक का चक्कर लगाकर भुगतना पड़ रहा है। सीओ अजय कुमार सरकार और भवानीपुर पुलिस को दिवाकर सिंह ने आवेदन दिया था कि शैलेंद्र सिंह उसके जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर घर बना अतिक्रमण कर लिया है इसलिए इसे अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए।

मामले में जनता दरबार में प्रशासन ने हाथ खड़ा कर दिया और सीओ ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के क्षेत्र से यह बाहर का मामला है। मामला यह भी प्रकाश में आया है कि न्याय नहीं मिलने की आस में शनिवार को दिवाकर जिंदगी से हार मानकर कोई गलत कदम उठा सकता था इसलिए कोई अनहोनी नहीं हो उसे दिनभर थाना परिसर में बैठा कर रखा गया। हालांकि स्थानीय पुलिस इस बात की पुष्टि नहीं करती है। दिवाकर ने कहा कि वह भ्रष्ट शासन प्रणाली से परेशान हो गया है। मेरी जमीन है लेकिन न्याय के लिए मुझे दौड़ना पड़ रहा है। न्याय से भरोसा उठ गया है। सीओ अजय कुमार सरकार ने दिवाकर से कहा कि आपकी जमीन पर यदि किसी ने अवैध रूप से घर बना लिया है तो उस पर कब्जा दिलाना मेरे बस से बाहर है आप संबंधित न्यायालय या अधिकारी क़े पास जा सकते हैं। जहॉ से न्याय संभव है।

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