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नारायणपुर: अंगिका साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार डा. तेजनारायण कुशवाहा (90) के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। सोमवार को नारायणपुर में आयोजित शोकसभा में साहित्य आंगन के संस्थापक और अंगिका के युवा कवि कुमार गौरव ने कहा कि डा. कुशवाहा का जाना अंगिका साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने “सवर्णा” और “अंगिका साहित्य का इतिहास” जैसी समृद्ध रचनाएं दीं, जिनके लिए अंगिका भाषा-भाषी समाज और छात्र-छात्राएं हमेशा ऋणी रहेंगे।

डा. कुशवाहा का निधन रविवार देर रात उनके निवास इशीपुर बाराहाट में हुआ, जिससे साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त हो गया। कुमार गौरव ने कहा कि साहित्य के संवर्धन के लिए उन्होंने पीरपैंती प्रखंड स्थित इशीपुर बाराहाट में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ की स्थापना की थी, जो आज भी साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इस विद्यापीठ से हर वर्ष “विद्यावाचस्पति” की उपाधि प्रदान की जाती है, और यह संस्थान पूरे देश में ख्यातिप्राप्त है।

शोकसभा में अंगिका विभाग के छात्र पंकज कुमार ने कहा कि डा. कुशवाहा 90 वर्ष की आयु में भी हमेशा अंगिका के विकास के लिए चिंतित रहते थे और उसके लिए निरंतर प्रयास करते रहे। मौके पर अभिषेक कुमार, गौतम कुमार, आशीष कुमार, शुभम कुमार, मनीष कुमार, हर्ष, मनखुश यादव, सुमन और अंकित कुमार सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।

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