नारायणपुर प्रखंड में पिछले वर्ष तीन फर्जी क्लीनिक को सील करते हुए प्राथमिकी भी दर्ज किया गया था जिसमें 2 संचालक को जेल की हवा भी खानी पड़ी । इसके बाद जब जेल से छूटकर आए तो कुछ ने तौबा कर लिया कि अब चिकित्सा क्षेत्र में अवैध काम नहीं करूंगा तो कुछ जाँच से बचने के लिए अपने क्लीनिक के बोर्ड में डॉक्टर के नाम को ही पेंट कर दिया है । कुछ क्लीनिक संचालक ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए क्लीनिक का बोर्ड नहीं हटाया है । कार्रवाई होने से पूर्व तो खुलेआम सिजेरियन, बच्चादानी का ऑपरेशन फर्जी क्लीनिक में फर्जी डॉक्टर कर रहा था लेकिन अब सिजेरियन, बच्चादानी का ऑपरेशन तो डर से फर्जी क्लीनिक में फर्जी डॉक्टर नहीं कर रहे हैं। लेकिन ऑपरेशन करने का तरीका जरूर बदल गया है। फर्जी इसलिए कहा जा रहा है है कि किसी भी क्लीनिक या नर्सिंग होम का पंजीयन नहीं हुआ है। क्लीनिक का बोर्ड लगाकर अभी उसमें जो ऑपरेशन हो रहा है उस ऑपरेशन की डिग्री भी उस डॉक्टर के पास नहीं है तो डिग्री के आधार पर जो ऑपरेशन वह कर रहा है इस तरह का ऑपरेशन गलत है ।
क्या है ऑपरेशन का नया फंडा :- सिजेरियन और बच्चादानी का ऑपरेशन करने के लिए फर्जी क्लिनिक वाला डॉक्टर एंबुलेंसनुमा गाड़ी में कमीशन के लिए पेसेंट को भागलपुर पहुंचाता है। उस पेसेंट का ऑपरेशन करवाने के बदले जो निर्धारित कमीशन है वह उससे मिल जाता है। इसके बाद बाकी का सारा काम वह अपने स्तर से क्लीनिक पर कर लेता है। अब दूसरा ट्रेंड में आपको बताता हूं कुछ ऐसे भी क्लीनिक है जहां सिजेरियन बच्चादानी का ऑपरेशन नहीं हो रहा है लेकिन यहां की कमाई में कमी नहीं हुई है। इस फर्जी क्लीनिक में भी फर्जी डॉक्टर अपेंडिक्स हिरनिया, हाईड्रोसिल आदि का ऑपरेशन करके चांदी काट रहे हैं क्योंकि इसमें सेजरिया और बच्चेदानी जितना रिस्क नहीं है। उससे कम आमदनी है लेकिन पेसेंट की संख्या कम नहीं है । अपेंडिक्स का ऑपरेशन तो हो जाता है। ऑपरेशन होने के बाद पेसेंट को क्या पता उसे अपेंडिक्स है या अल्ट्रासाउंड वाले ने अपेंडिक्स बताया तो वह अपेंडिक्स हो गया? सबसे बड़ा सवाल यह है कि डॉक्टर अपने क्लीनिक के ऑपरेशन थिएटर में जहां वह ऑपरेशन करता है क्या ओटी स्वास्थ्य मानकों पर 100 फ़ीसदी खड़ा उतरता है। बिल्कुल नहीं! अकुशल डॉक्टर अपनी मर्जी से कह देते हैं ऑपरेशन थिएटर मेरा बिल्कुल अपडेट है। OT में किसी प्रकार का कोई भी संक्रमण रोगी को नहीं फैल सकता है। इसकी गारंटी वही डॉक्टर देते हैं जिसका क्लीनिक है। लेकिन जब तक क्लीनिक पंजीकृत नहीं है तो वह डॉक्टर कैसे गारंटी लेता है कि यह ओटी बढ़िया है । नारायणपुर के फर्जी क्लीनिक में फर्जी डॉक्टर इस तरह से अपनी कमाई करके चांदी काट रहे हैं ग्रामीण परिवेश में रोगियों को चूना लगा रहे हैं? स्वास्थ्य विभाग ने भी मान लिया है कि एक भी क्लीनिक पंजीकृत नहीं है।क्रमश: अगले अंक में…….