नवगछिया के लक्ष्मीपुर रोड में गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नवगछिया कार्यालय में झंडोत्तोलन कार्यक्रम संपन्न हुआ, लेकिन कार्यक्रम समाप्ति के बाद भी तिरंगा देर रात तक लहराता रहा। राष्ट्रीय ध्वज को रात 10:00 बजे तक लहराते देख स्थानीय लोगों और राहगीरों में चिंता बढ़ गई।
रात करीब 10 बजे एक स्थानीय व्यक्ति की ओर से सूचना दी गई, जिसके बाद खबर भाजपा जिला अध्यक्ष मुक्ति नाथ प्रसाद सिंह तक पहुंचाई गई। अध्यक्ष ने तत्परता दिखाते हुए कार्यालय के गार्ड को झंडा उतारने का निर्देश दिया, जिसके बाद झंडा नीचे उतारा गया। इस घटना ने स्थानीय नागरिकों के बीच असंतोष और सवालों को जन्म दिया है।
लापरवाही या भूल?
स्थानीय लोगों ने इस घटना को राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बताया और भाजपा जैसे बड़े दल के कार्यालय में इस तरह की लापरवाही को गंभीर चिंता का विषय करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब ध्वज संहिता के नियम स्पष्ट हैं, तो फिर ऐसी गलती क्यों हुई? वहीं, कुछ नागरिकों ने लापरवाही करार दिया और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
भाजपा जिला अध्यक्ष मुक्ति नाथ प्रसाद सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि झंडा उतारने की जिम्मेदारी गार्ड को सौंपी गई थी, लेकिन गार्ड इसे समय पर नहीं उतार सका, जिसके कारण यह रात तक फहराता रहा।
क्या कहता है कानून?
राष्ट्रीय ध्वज को लेकर भारतीय ध्वज संहिता 2002 के नियम स्पष्ट हैं, जिनके अनुसार तिरंगे को सूर्योदय के समय फहराया जाता है और सूर्यास्त से पहले इसे सम्मानपूर्वक उतार लेना आवश्यक है।
यदि कोई तिरंगे के उपयोग में उल्लंघन करता है, तो यह ‘राष्ट्रीय सम्मान के अपमान निवारण अधिनियम, 1971’ के अंतर्गत आता है। इस कानून की धारा 2 के तहत राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर तीन साल की सजा या आर्थिक दंड या दोनों का प्रावधान है।
नागरिकों ने की जांच की मांग
इस घटना को लेकर स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन से इस लापरवाही की जांच करने और दोषियों पर उचित कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए सख्त दिशानिर्देश लागू करने की जरूरत बताई है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है।