


भागलपुर में आज हमारी गौरैया, एनवायरमेंट वॉरियर्स, भारतीय वन्यजीव संस्थान, सृष्टि गंगा प्रहरी पर्यावरण एवं जनकल्याण सोसायटी के संयुक्त प्रयास से “प्रोजेक्ट चहचाहट” के तहत
गौरैया संरक्षण पर गोष्ठी व घोंसला वितरण कार्यक्रम के तहत चर्चा हुई और निशुल्क घोंसलों का वितरण किया गया ।
मौके पर पीआईबी पटना के सहायक निदेशक व गौरैया संरक्षक संजय कुमार ने कहा कि दैनिक व्यवहार बदलाव सहित कई कारणों से घर आंगन की गौरैया हमसे दूर चली गई है। हालांकि अभी भारत में इसकी संख्या स्थिर है लेकिन अगर इनका संरक्षण नहीं करेंगे तो एक दिन यह विलुप्त हो जायेगी। इसलिए गौरैया के संरक्षण के लिए जागरूकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर घर में दाना पानी और बॉक्स (घोंसला) की व्यवस्था के साथ साथ थोड़ा प्यार देना होगा।

वहीं गरुड़ संरक्षक और बिहार के पक्षीमैन अरविंद मिश्रा ने कहा कि आज गरुड़ विलुप्त के कगार पर है अगर गौरैया को बचाने की पहल नहीं हुई तो यह भी नही दिखेगी। उन्होंने कहा कि गौरैया का संबंध गाय- गोबर से जहां यह होता है गौरैया आसपास रहती है। उन्होंने कहा कि गरुड़ संरक्षण के साथ ही साथ इस प्रजाति की सभी चिड़ियों का संरक्षण हुआ। इसलिए जब गौरैया का संरक्षण होगा तो उसके साथ साथ दूसरे जीव जीवों का भी संरक्षण होगा है।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉल्फिन संरक्षक प्रो.डॉ. सुनील चौधरी ने कहा कि गौरैया संरक्षण के लिए जन जागरूकता आवश्यक है और इसमें युवाओं को जोड़ने की जरूरत है क्योंकि इनकी भूमिका अहम हो सकती है।

मौके पर आयोजित प्रदर्शनी में हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा की ओर से कृत्रिम घोंसला एवं गौरैया के आहार की प्रदर्शनी लगाई गई। गौरैया संरक्षण पर संजय कुमार की पुस्तक ‘ओ री गौरैया’ और ‘अभी मैं जिन्दा हूँ गौरैया’ प्रदर्शित की गई। डबल्यूआईआई की ओर से बांस से निर्मित विभिन दैनिक प्रयोग की सामग्री की प्रदर्शनी लगाई गई। जबकि सृष्टि की ओर से गौरैया जागरूकता संदेश के पोस्टर लगाएं गए।
