गोपालपुर – मौसम की बेरुखी से परेशान गोपालपुर, रंगरा व इस्माइलपुर प्रखंडों के मकई की खेती करने वाले किसानों को इस बार कीट के प्रकोप के साथ ठोला व उखडा ने मुसीबत में डाल दिया है. मकई की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि महाजनों से सूद पर रुपया लेकर मकई की खेती इस वर्ष किये. परन्तु पूँजी भी लौटने की उम्मीद नहीं लग रही है.
लाचार होकर किसान मकई की फसल को पशु चारे के रूप में उपयोग करने लगे हैं. किसानों के अनुसार कावेरी पायनियर जैसे महँगे बीज लगा कर मकई की खेती किया. परन्तु असमय ही फसल सूखने से फसल होने की संभावना समाप्त हो चुकी है प्रति बीघा मकई की खेती करने में 25-30 हजार रुपये खर्च हो जाता है.
चार किलो बीज का मूल्य दो हजार रुपये लिया जाता है. पटवन व खाद का खर्च अलग से करना पडता है. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसानों से लिखित शिकायत मिलने पर बीज कंपनियों को खिलाफ जाँचोपरान्त विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.