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नवगछिया के गोपालपुर प्रखंड के गोसाई गांव में गृहणी माला कुमारी झा ने अपने घर पर पारंपरिक तरीके से चौरचन पूजा का आयोजन किया। यह पूजा मिथिला क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जो गणेश चतुर्थी के अवसर पर की जाती है।

इस पूजा में माला कुमारी झा ने पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश और चंद्र देव की आराधना की। उन्होंने सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लिया और पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपा। पूजा के लिए विशेष प्रकार के पकवान, जैसे खीर, मिठाई, फल, और दही, केले के पत्तों पर सजाए गए। शाम को चंद्रमा के उदय होने पर, उन्होंने पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके चंद्रमा को अर्घ्य दिया और मंत्रों का जाप किया।

चौरचन पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश का उपहास किया था, जिसके फलस्वरूप गणेश जी ने उन्हें श्राप दिया कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा, उस पर झूठे आरोप लगेंगे। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव ने गणेश जी की आराधना की थी, तभी से गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा की परंपरा शुरू हुई।

माला कुमारी झा द्वारा किए गए इस आयोजन ने स्थानीय स्तर पर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखा है, जो कि चौरचन पूजा की एक अनूठी विशेषता है। इस पूजा के आयोजन ने उनके परिवार के लिए शांति, समृद्धि, और खुशहाली की कामना की।

इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों के माध्यम से चौरचन पूजा की महत्ता और पवित्रता का अनुभव किया जाता है, और यह परंपरा परिवारों को उनके मूल्यों और आस्थाओं के प्रति दृढ़ रहने की प्रेरणा देती है।

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