गोसाई गांव के गंगा तट पर आयोजित हो रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन बुधवार वृंदावन से आए कथावाचक पंडित स्वामी नारायण दर्शन जी महाराज ने कथा के दौरान कहा कि अहंकार भगवान का भोजन है अहंकारी मनुष्य पापी मनुष्य के समान है जिसका पाप का घड़ा भरते ही वह समाप्त हो जाता है मनुष्य को अपने धन का, अपने बल का और अपने तन का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार आने के साथ ही मनुष्य के जीवन में विभिन्न प्रकार की वैसी घटनाएं होनेंन लगती है जिससे उसका जल्द ही उसका सर्वनाश हो जाता है ।
आपस में प्रेम सद्भाव बना कर रखने से ही मनुष्य खुशहाल होकर जी सकता है और औरों को भी सुख शांति दे सकता है । वहीं तीसरे दिन की कथा में स्वामी जी नें कथा में एक से बढ़कर एक भजन से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया । मौके पर ग्रामीण समाजसेवी शंभू यादव, रेखा यादव, टिंकू यादव, अशोक यादव, अमित कुमार, ईलू कुमार, सुमन यादव, अजित कुमार यादव, संतोष कुमार, सुमित कुमार, निर्मल, रितेश, सुधीर, अनिल, आनंद सहित सैकड़ों महिला व पुरुष भक्त कथास्थल पर उपस्थित होकर कथा का श्रवण कर रहे थे ।