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ऋषव मिश्रा कृष्णा, मुख्य संपादक , जीएस न्यूज़

  • करीब 10 वर्ष से फरार था कुख्यात शबनम यादव

नवगछिया, शबनम उर्फ शबना यादव के बारे में दियारा इलाके में लोग कहने लगे थे, शबनम व्यवस्था से उपर है. पुलिस कानून शबनम के लिए कुछ नहीं है. शायद नवगछिया जिला पुलिस के फरार कुख्यातों की सूची में लंबे समय तक रहने वाले अपराधी का नाम शबमन यादव है. अभी तक पुलिस रिर्पोट खंगालने के बाद पता चला है कि शबनम लगभग दस वर्षों से फरार चल रहा था. ऐसा नहीं कि शबनम चुप चाप बैठा था, फरार रहने के दौरान वह एक के बाद एक वारदात को अंजाम दे रहा था. पुलिस भी चुप चाप नहीं बैठी थी, पुलिस अपराधी शबमन यादव के ठिकानों पर विगत दस वर्षों में अनगिणत बार छापेमारी कर चुकी थी. दस वर्षों के बाद ही सही शबना गिरफ्तार तो हुआ, अब लोग कहने लगे हैं, किसी ने सच ही कहा था कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं.

काफी कम उम्र में अपराध की दुनियां में आया शबनम

काफी कम उम्र में अपराध का दामन थामने वाले शबना यादव को आपराधिक तालिम अपने गुरू और सगे भाई संजय यादव से ली थी. मालूम हो कि जब जातिगत हिंसा और संगठित अपराध में पूरा बिहार जल रहा था तो उस समय संजय यादव फैजान गिरोह की कमान संभाल रहा था. जब संजय यादव की उम्र ढलान पर आयी तो संजय यादव की विरासत को शबनम यादव उर्फ शबना यादव ने संभाला. शबना ने भी अपने भाई की तरह सांगठनिक अपराध को कोसी और गंगा दियारा में एक नया आकार दिया और अपने गिरोह को निरंतर मजबूत बनाता रहा. वर्ष 2004 में शबमन के आपराधिक कारनामों से लोग रू ब रू होने लगे. वर्ष 2009 -2010 तक शबना और उसके सहयोगी ध्रुवा यादव का नाम लोग रांगा बिल्ला के तर्ज पर ध्रुवा शबना कह कर लेते थे. लेकिन समय बड़ी तेजी से बदल रहा था. सांगठनिक अपराध की परीपाटी अपने अंतिम दौड़ में था. शबना का सहयोगी ध्रुवा भी गिरफ्तार हो गया था. बीमारी के कारण उसकी जेल में ही मृत्यु हो गयी. ऐसे समय को शबनम यादव ने बखूबी समझा और अपना कोसी दियारा में ऐसी जगह को अपना ठिकाना बनाया जहां के भौगोलिक बनावट का उसका फायदा उसे मिले ही साथ ही साथ वह दस से 15 मिनट के अंदर एक जिले की सीमा से दूसरे जिले की सीमा में प्रवेश कर सके. विगत दस वर्षों में पुलिस ने जब भी शबनम यादव के ठिकाने की छापेमारी की तो उसे सूचना पहले ही मिल जाती थी और वह आसानी से सुरक्षित ठिकाने की ओर भाग जाता था. मधेपुरा पुलिस ने छापेमारी की तो वह नवगछिया पुलिस जिले के क्षेत्र में आ जाता था और जब नवगछिया पुलिस ने छापेमारी की तो वह मधेपुरा भाग जाता था. वर्ष 2018 में पसराहा थानाध्यक्ष की हत्या के बाद मुख्य आरोपी दिनेश मुनी को संरक्षण देने वालों में शबनम यादव का नाम सामने आया था. नवगछिया, खगड़िया और मधेपुरा पुलिस ने उस समय दियारा के बड़ी खाल स्थित शबना यादव के ठिकाने पर छापेमारी की थी. सूत्रों से जानकारी मिली है कि विगत दिनों शबनम यादव ने नारायणपुर से लेकर कदवा कोसी दियारा और मधेपुरा कोसी दियारा में अपने गिरोह को काफी मजबूत कर लिया था. आशंका है कि शबनम की गिरफ्तारी के बाद दियारा में उसकी के गिरोह का कोई अपराधी कमान संभालेगा. बहरहाल, शबनम की गिरफ्तारी के बाद खास कर किसानों और पशुपालकों ने चैन की सांस ली है.

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