

नवगछिया : सूबे के चर्चित ज्ञान वाटिका विद्यालय, सिंघिया मकन्दपुर (गोपालपुर, नवगछिया) में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधान राजेश कुमार झा ने बाबा साहेब के तैलीय चित्र पर पुष्प अर्पित किए।
सभा को संबोधित करते हुए प्रधान श्री झा ने कहा, “डॉ. अंबेडकर एक अवतार पुरुष थे जिनका जीवन दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए समर्पित रहा। वे एक महान राजनीतिज्ञ और कानून विशेषज्ञ थे, और उनका योगदान भारतीय समाज के लिए अनमोल है।” उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने कोलंबिया और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की थी और संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष रहे। उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में सम्मानित किया जाता है।
विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक श्री निरंजन सिंह ने बाबा साहेब की एक प्रसिद्ध उक्ति का उल्लेख करते हुए कहा, “वे हमेशा कहा करते थे कि शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जिसे जो पिएगा वही दहाड़ेगा।”
सामाजिक विज्ञान के शिक्षक सुमित सर ने बताया कि गांधी जी और बाबा साहेब दोनों दलितों के उद्धारक थे, लेकिन उनके दृष्टिकोण में कुछ मतभेद था। अमर सर ने बताया कि बाबा साहेब को मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
भाषण के दौरान कुछ बच्चों ने पूछा कि ‘बाबा साहेब’ का क्या अर्थ होता है, तो मनोज सर ने इसका उत्तर दिया, “बाबा साहेब का अर्थ है पूज्य पिता।” हिंदी शिक्षक अमित सर ने बताया कि बाबा साहेब ने महार जाति में जन्म लिया था और उस समय भारत में छुआछूत का प्रचलन चरम पर था, जिससे उन्हें बहुत कष्ट झेलने पड़े।
इस आयोजन में छात्रों और शिक्षकों ने बाबा साहेब के योगदान को याद करते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया।
