मायागंज अस्पताल के फैब्रिकेटेड वार्ड में होगा संक्रमित का इलाज
भागलपुर : कोरोना के बाद अब एचएमपीवी (ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस) के संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। चीन में फैली इस महामारी के कारण देश में अब तक इसके नौ मरीजों का पता चला है। हालांकि बिहार में अब तक इस वायरस से एक भी मरीज संक्रमित नहीं हुआ है, लेकिन स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है।
अभी के लिए संक्रमण से निपटने के लिए जेएलएनएमसीएच अस्पताल में 40 बेड रिजर्व किए गए हैं, जिनमें ऑक्सीजन की व्यवस्था भी की गई है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके सिन्हा ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से इस वायरस के इलाज और जागरूकता के लिए पत्र जारी किया गया है। मंगलवार को अस्पताल के फैब्रिकेटेड वार्ड में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में 40 बेड सुरक्षित किए गए हैं, जिनमें से 20 बेड विशेष रूप से बच्चों के इलाज के लिए आरक्षित होंगे।
इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा कुछ दिनों में पब्लिक गाइडलाइन जारी करने की योजना है। इसके लिए पुणे, चंडीगढ़ और वेल्लौर के वायरस रिसर्च सेंटर से ICMR सुझाव ले रहा है।
एचएमपीवी के लक्षण:
एचएमपीवी संक्रमित मरीजों के लक्षण कोविड-19 से काफी मिलते-जुलते हैं। इनमें कफ, फीवर, नाक बहना, गले में दर्द और सूजन, दम फूलना जैसी समस्याएं होती हैं। यह वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और पहले श्वसन प्रणाली पर असर डालता है।
जांच और इलाज:
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार, इंफ्लूएंजा, निमोनिया, दमा जैसे सांस से संबंधित गंभीर बीमारियों के मरीजों का सैंपल लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजा जाएगा। फिलहाल, इस बीमारी के लिए कोई विशेष किट या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
कोविड जैसे प्रोटोकॉल का पालन करें:
- हाथों को साबुन और पानी से लगातार धोना।
- गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को न छूना।
- सर्दी-खांसी वाले संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखना।
- खांसते या छींकते समय मुंह को रुमाल से ढंकना।
- संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं को लगातार साफ करना।
- संक्रमण के दौरान घर में आइसोलेशन में रहना।
- छोटे बच्चों और 60 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है।
- कम इम्यूनिटी वाले मरीजों को सतर्क रहना चाहिए।