हे सरकार !!
कोसी मैया का ये रौद्र रूप तो हर वर्ष देखना मेरी नियति बन गयी है। पर आप तो रहम कीजिए सरकार……।
जी हाँ ! मैं नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड का मदरौनी, कौशकीपुर सहोड़ा, सधुवा-चापर और तीनटंगा दियारा पंचायत हूं। ना जानें कितने ही अनगिनत जख्मों के निशां मेरे कलेजे पर हर वर्ष लगते रहें हैं। पर कहाँ जाएँ? अपने आस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में मुझे कभी गंगा ने तो कभी कोसी ने लूटा। मेरी बेवसी की इन्तहां तो देखिए मुझे अपनों ने लूटा….।
मेरे अपने मुखिया, विधायक, सांसद सब मेरे वोट से सत्ता के सुःख भोग रहें हैं मेरी बेवसी और समस्या पर आवाज उठाकर ना जाने कितने हीं पुरोधाओं ने अपनी राजनीतीक नैया पार लगा ली।
और मैं रोज चिलचिलाती धूप और बरसात में अपने दिन बिताने को विवश हूं। सावन-भादो आते हीं मुझे बरसात और बाढ़ का पानी अपने आगोश में जकड़ने लगता है।
जब आधी रात को गंगा और कोसी अपनी बगावती धारा के साथ कोलाहल करती है तो मेरे किनारे बसने वाले लोग भय के मारे रात भर जगने को विवश हो जाते है। और मैं बेवस, लाचार निगाहों से टकटकी लगाए प्रशसान की ओर देखता रहता हूं। पिछले एक सप्ताह से हमने कटिहार बरौनी रेल खंड के कटरिया स्टेशन पर अपना बसेरा बना लिया है। यह जानते हुए कि काल के मुंह के सामने में विराजमान हूं।
पर मैं कर भी क्या सकता हूं? कहां जाऊं? यहां छोटे-छोटे बच्चे भी रेल लाइन पर खेलने को आतुर है। उसे क्या पता कि इस रेल लाइन पर ट्रेन के रूप में मौत दौड़ती है। यह न तो पीने को शुद्ध पानी है और न तो शौचालय की कोई व्यवस्था है। बिजली की तो बात हीं मत कीजिये। खाना पकाने के लिए जलावन के दूर दूर तक भटकना पड़ता तब जाकर कहीं खुले आसमान तले चूल्हा जल पता है।
यह मेरे दुःख की घड़ी है लेकिन हाँ समय आ रहा है चुनाव का सभी छोटे बड़े पंचायत चुनाव लड़ने वाले नेताजी आएंगे मेरे पास गिरगिराने।
मुझे मनाएंगे, रिझाएंगे और मुझसे मेरा वोट मांगेंगे। मुझे चंद रुपयों के, कपड़ों के और कुछ सामानों का प्रलोभन देंगे। आखिर हुजूर मैं भी तो इंसान ही हूं। लोभ किसे नहीं होगा? मैं जानता हूं कि यह सभी मेरे वोट लेकर फिर 5 साल तक सत्ता का सुख भोगेंगे और मुझे 5 वर्षों तक रोना है। फिर भी एक उम्मीद लेकर मैं वोट तो जरूर दूंगा।
हाँ साहेब…हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ये सत्ताधारी, जनप्रतिनिधि शायद मुझे सर ढकने के लिए गद्दर वाली पाल्स्टिक, खाने के लिए दो ढाई किलो चूड़ा और सक्क्ड़, रात बिताने के लिए 5 पीस मोमबत्ती, सलाई मिल जाये लेकिन क्या इससे बाढ़ के ये दो माह गुजर जायेगा? आज भी मैं तारे गिनकर रात बिताने को मज़बूर हूं।